ज़िन्दों और परिंदों का बस एक ही पहचान है.
ना ही थकना, ना ही रुकना बस और बस उड़ान है.
एक जगह जो रुक गया तो रुक गया उसका सफ़र.
इसलिए ही अब तो मंजिल रोज़ एक मुकाम है.
कौन कहता है जहां में ज़िंदा रहना है कठिन.
आदमी में है ही क्या एक जिस्म और एक जान है.
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है.
ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी.
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.
----- सतीश मापतपुरी
Comment
ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी.
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.
बहुत सार्थक और सकारात्मक उपदेश देती रचना ! आदरणीय सतीश जी, आपको बधाई!
आदरणीय सतीश जी सादर प्रणाम
ज़िन्दगी में जंग ना तो क्या मज़ा मापतपुरी.
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.
aadarneey Satish ji Sadar namaskar, Motiyon ki ladi me ye do heere lage:
कौन कहता है जहां में ज़िंदा रहना है कठिन.
आदमी में है ही क्या एक जिस्म और एक जान है.................Ekla chalo re, Ekatmvaad :)
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है..............This is the Best; Bhuj Gujraatiyon ki yaad aati hai, jahan Bahut jyada paani na hone par bhi ekdam aage hain.
Bahut bahut badhai.
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है
इस बात का कोई जवाब नहीं है गुरुवर...!! बहुत ख़ूब...
राजेश कुमारी जी , अविनाश जी और मृदु जी आपका दिल से आभार
ज़िन्दगी खुद में ही तो एक जंग का एलान है.
हार्दिक बधाई खूबसूरत भावाभियक्ति पर
मौसमे बारिश गिरा देता है कितने आशियाँ .
हिम्मते मरदा है जो कि हर तरफ मकान है....realy आशा का संचार करती, आत्मशक्ति आत्मविश्वास को जगाती रचना...
आशा का संचार करती आत्मशक्ति आत्मविश्वास को जगाती रचना बहुत खूब सतीश मापतपुरी जी ..बधाई
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