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केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog – August 2015 Archive (2)

आत्मा एक सत्यम....

गज़ल........122, 122, 122, 122

 

तुम्हारी  कसम  बेसहारा  नहीं हूँ.

महज़ इक गज़ल हित आवारा नहीं हूँ.

 

सँवारे ज़मी आस्माँ चाँद तारें

वही इक जुगनू बेचारा नहीं हूँ.

 

गली घाट घर गाँव सबका सहारा

सजग कौम कुत्ता दुलारा नहीं हूँ.

 

लगी आग महलों दुमहलों में जब भी

बुझाया हमेशा लुकारा नहीं हूँ.

 

सकल जीव मे आत्मा एक सत्यम

सदा सच कहूं इक तुम्हारा नहीं हूँ.

 

के0पी0 सत्यम / मौलिक व…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 4, 2015 at 9:06pm — 5 Comments

सरस्वती-वन्दना

गीतिका छंद

[प्रत्येक पंक्ति 14-12 की यति से कुल 26 मात्रा होती है तथा प्रत्येक पंक्ति की तीसरी, दसवीं, सत्रह्वीं और चौबिसवीं मात्रा लघु ही होती हैं]

शारदे मां वर्ण-व्यंजन में प्रचुर आसक्ति दो।

शब्द-भावों में सहज रस-भक्ति की अभिव्यक्ति दो।।

प्रेम का उपहार नित संवेदना से सिक्त हो।

हर व्यथा-संघर्ष में भी क्रोध से मन रिक्त हो।।1

वृक्ष सा जीवन हमारा हो नदी सी भावना।

तृप्त ही करते रहें निश-दिन यही है…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 2, 2015 at 8:00pm — 5 Comments

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