जो डूब चुका है कंठ तक झूठ के सवालों में
उससे ही हम न्याय की उम्मीद लगा बैठे ।
देश आज फंस चुका है गद्दारों के हाथों में
हमारी आपसी मतभेद का फाइदा उठा बैठे ।
हमसे मांगते मंदिर का सबूत न्यायालय में
भारत में भी तालिबानी फरमान सुना बैठे ।
राम के मंदिर के लिए लड़ रहे न्यायालय में
सुबह की रोशनी में अपना अस्तित्व देख बैठे ।
आज न्यायालय ही खड़ा हो गया सवालों में
जो संविधान को अलग रख निर्णय ले बैठे ।
न्यायाधीस को शर्म नहीं…
ContinueAdded by Ram Ashery on August 24, 2019 at 8:30pm — No Comments
कागज की किस्ती और वर्षा का पानी,
वह बचपन की यादें हैं बहुत याद आती
आज रूठी गई दादी और वर्षा की रानी
न कहती है कहानी न बरसता है पानी॥
बच्चों को पता नहीं कैसे बहती है नाली
छतों से गटर में बहता, बरसा का पानी
गटर जब चोक हो ,सड़क पर बहे पानी
सड़के और गलियाँ नदियाँ बनके बहती ॥
वह कागज की किस्ती तभी याद आती
दादी की कहानी, रिमझिम बरसता पानी
बहुत याद आती वह बचपन की कहानी
माँ बाप को फुरसत कहाँ कहे जो…
ContinueAdded by Ram Ashery on August 18, 2019 at 3:00pm — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |