धरती भी काँप गयी
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उड़ान भरती चिड़िया
जलती दुनिया
आंच लग ही गयी
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दाढ़ी बाल बढ़ाये
साधू कहलाये
चोरी पकड़ा ही गयी
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इतना बड़ा मेला
पंछी अकेला
डाल भी टूट गयी
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खंडहर भी चीख उठा
रक्त-बीज बाज बना
धरती भी काँप गयी
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कानून सोया था
सपने में रोया था
देवी…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 27, 2013 at 12:30am — 8 Comments
वंजर धरती को जोते हम
डाल उर्वरक हरा बनाये
सालों साल वृथा मिटटी जो
आज हँसे लहके लहराए !
कुंठित मन को कुंठा से भर
दुखी रहें क्यों हम अलसाये
कुंठित बीज हरी धरती में
कुंठित फसल भी ना ला पायें !
नाश करें खुद के संग धरती
वंजर वृथा ह्रदय अकुलाये
जोश उर्जा क्षीण हो निशि दिन
ख़ुशी हंसी मन को खा जाए !
सहज सरल भी चुभें तीर सा
बिन बात बतंगड़ बनती जाए
घुन ज्यों अंतर करे…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 21, 2013 at 11:00pm — 14 Comments
अनेकता में एकता --अपना भारत
प्रिय दोस्तों और ..मेरे नन्हे मुन्ने मित्रों आप सब को भ्रमर की तरफ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं ...
मेरा भारत महान है , हम सब की शान है अपनी जान हैं गौरव है यह एक शब्द नहीं है अपितु हर भारतवासी के दिल की धड़कन है। ये अपनी पहचान है। हम इस पवित्र भूमि में पैदा हुए हैं। हमारे लिए यह उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि हमारे माता-पिता हम सब के लिए । भारत केवल एक भू-भाग का नाम नहीं है बल्कि यह हो इस भू-भाग में बसे लोगों, उसकी…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 14, 2013 at 8:30pm — 6 Comments
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