For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR's Blog – August 2013 Archive (3)

धरती भी काँप गयी

धरती भी काँप गयी

----------------------

उड़ान भरती चिड़िया

जलती दुनिया

आंच लग ही गयी

---------------------

दाढ़ी बाल बढ़ाये

साधू कहलाये

चोरी पकड़ा ही गयी

-------------------------

इतना बड़ा मेला

पंछी अकेला

डाल भी टूट गयी

----------------------

खंडहर भी चीख उठा

रक्त-बीज बाज बना

धरती भी काँप गयी

------------------------

कानून सोया था

सपने में रोया था

देवी…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 27, 2013 at 12:30am — 8 Comments

कुंठित मन

वंजर धरती को जोते हम

डाल उर्वरक हरा बनाये

सालों साल वृथा मिटटी जो

आज हँसे लहके लहराए !

 

कुंठित मन को कुंठा से भर

दुखी रहें क्यों हम अलसाये

कुंठित बीज हरी धरती में

कुंठित फसल भी ना ला पायें !

 

नाश करें खुद के संग धरती

वंजर  वृथा ह्रदय अकुलाये

जोश उर्जा क्षीण हो निशि दिन

ख़ुशी हंसी मन को खा जाए !

 

सहज सरल भी चुभें तीर सा

बिन बात बतंगड़ बनती जाए

घुन ज्यों अंतर करे…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 21, 2013 at 11:00pm — 14 Comments

अनेकता में एकता --अपना भारत

अनेकता में एकता --अपना भारत

प्रिय दोस्तों और  ..मेरे नन्हे मुन्ने मित्रों आप सब को भ्रमर की तरफ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं ...

 

मेरा भारत महान है , हम सब की शान है अपनी जान हैं  गौरव है यह एक  शब्द नहीं है अपितु हर भारतवासी  के दिल की धड़कन  है। ये अपनी पहचान है। हम इस पवित्र भूमि में पैदा हुए हैं। हमारे लिए यह उतना  ही  महत्त्वपूर्ण है जितना कि हमारे माता-पिता हम सब के लिए । भारत केवल  एक भू-भाग का नाम नहीं है बल्कि  यह हो इस  भू-भाग में बसे लोगों, उसकी…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 14, 2013 at 8:30pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service