ग़ज़ल
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यही समाज की उलझन है क्या किया जाए
कि भाई भाई का दुश्मन है क्या किया जाए
हर एक शख़्स गरानी के दौर में देखो
ख़ुद अपने आप से बदज़न है क्या किया जाए
सभी ये कहते हैं यारो हम आशिक़ों के लिये
ये शब अज़ल ही से बैरन है क्या किया जाए
सफ़र प जाने से पहले ये सोचना है हमें
हर एक गाम प रहज़न है क्या किया जाए
जो तू नहीं है तो…
ContinueAdded by Samar kabeer on August 2, 2021 at 3:59pm — 23 Comments
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