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मेरे अपनों का ही खंजर मेरी तलाश में है ।
जिन्हें बनाया था अफसर मेरी तलाश में है ।।
जड़ों को सींच रहा हूँ शुरू से ओ बी ओ की,
नये आए हैं वो चाकर मेरी तलाश में हैं ।
जताते झूूठा वो हक़ जो ग़ज़ल की शोहरत पर,
उन्हीं के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है ।
बहुत गुमान है उनको तो जन्म के शहर का,
नगर का हूँ मैं तो रहबर मेरी तलाश में हैं ।
जहाँ में सच…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 24, 2021 at 7:00pm — 5 Comments
रहगुज़र को मेरी कारवाँ दे गया....
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रहगुज़र को मेरी कारवाँ दे गया
वो खुदी को अभी पासवाँ दे गया
मुफलिसी वो बुरा ख्वाब थी ज़िन्दगी
था खुदा जात वो कहकशाँ दे गया
आँख भर आए है याद कर के उसे
वो खुदा था मुझे बागवाँ दे गया
ज़िन्दगी को रज़ा की जबाँ दे गया
रास्ता एक था दो जहाँ दे गया
जो बुरा ख्वाब होता मुझे नींद में
वो बदल कर नई दास्ताँ दे…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 7, 2021 at 6:00pm — No Comments
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आज सोया है शहर घर कर के !
खूब रोया खुदा महर कर के !!
क्या बुरा हो गया सनम मुझ से
देखता कब है वो नज़र कर के !
ज़हरीला बन गया हरेक रिश्ता याँ
खत्म हो हर अजाब मर कर के !
हम हैं मारे उसी की बेरुखी के
जिसको देखा नज़र वो भर कर के !
कोई है बात जो लगी दिल को
मिलता कोई नहीं खबर कर के !
क्या करू मिल के ज़िन्दगी से मैं
खौलता खून है …
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 3, 2021 at 12:46am — 2 Comments
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