वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर चन्द दोहे : ....
दृग जल हाथों पर गिरा, टूटा हर अहसास ।
काया ढलते ही लगा, सब कुछ था आभास ।।
जीवन पीछे रह गया, छूट गए मधुमास ।
जर्जर काया क्या हुई, टूट गई हर आस ।।
गिरी लार परिधान पर, शोर हुआ घनघोर ।
काया पर चलता नहीं, जरा काल में जोर ।।
लघु शंका बस में नहीं, थर- थर काँपे हाथ ।
जरा काल में खून ही , छोड़ चला फिर साथ ।।
वृद्धों को बस दीजिए , थोड़ा सा सम्मान ।
अवसादों को…
Added by Sushil Sarna on August 21, 2023 at 2:45pm — 4 Comments
सीख ......
"पापा ! फिर क्या हुआ" । सुशील ने रात को सोने से पहले पापा की टाँगें दबाते हुए पूछा ।
"कुछ मत पूछ बेटा । हर तरफ मार काट, भागम-भाग , हर तरफ चीखें ही चीखें थी । हमने थोड़े से गहने और सामान बाँधा और सब कुछ छोड़ कर निकल लिए ।" पापा ने कहा ।
"आप सुरक्षित कैसे निकले "। सुशील ने पूछा ।
"ह्म्म । बेटे!सन् 1947 के विभाजन में सम्भव नहीं था वहाँ से सुरक्षित निकलना । उसी कौम का एक इंसान फरिश्ता बन कर हमारी मदद को आया और किसी तरीके से बचते बचाते…
ContinueAdded by Sushil Sarna on August 19, 2023 at 4:49pm — 7 Comments
दोहा त्रयी. . . . मजबूर
आँखों से ही दूर है, अब आँखों का नूर ।
बदले इस परिवेश में, ममता है मजबूर ।।
वर्तमान ने दे दिया, माना धन भरपूर ।
लेकिन कितना कर दिया, मिलने से मजबूर ।।
धन अर्जन करने चला, सात समंदर पार ।
मजबूरी ने कर दिया, सूना घर संसार ।।
सुशील सरना / 18-8-23
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on August 18, 2023 at 3:08pm — 4 Comments
चौपाई छंद - जीवन
जीवन का जो मर्म न जाने ।
दर्द किसी के क्या पहचाने ।।
जग में निष्ठुर वो कहलाता ।
जो साँसों को समझ न पाता ।1।
*
यौवन के जब दिन हैं आते ।
आँखों में सपने लहराते ।।
रातें लगतीं सदा सुहानी ।
हर पल लिखता नई कहानी ।2।
*
यादों का है दिल से नाता ।
दिल आँसू को सदा छिपाता ।।
आँखों में रातें छिप जातीं ।
कह न व्यथा अन्तस की पातीं ।3।
*
…
Added by Sushil Sarna on August 12, 2023 at 2:41pm — 2 Comments
दोहा पंचक
खुद पर खुद का जब नहीं, चलता कोई जोर ।
निर्णय उस इंसान के , पड़ जाते कमजोर ।।
जीवन मधुबन ही नहीं, यहाँ फूल अरु शूल ।
सुख के पथ पर है पड़ी , यहाँ दुखों की धूल ।।
रिश्ते कागज पुष्प से, हुए आज निर्गंध ।
तार -तार सब हो गए, रेशम से अनुबंध ।।
कौन यहाँ पर पारसा, किसे कहें हम चोर ।
सच्चाई की राह में, मचा झूठ का शोर ।।
मीठी लगती चाँदनी, तीखी लगती धूप ।
ढल जाएगा एक दिन, चाँदी जैसा रूप…
Added by Sushil Sarna on August 4, 2023 at 1:06pm — 2 Comments
दोहा त्रयी : बदनाम
उल्फत में रुसवा हुए, मुफ्त हुए बदनाम ।
आँसू आहों का मिला , इस दिल को ईनाम ।।
शमा जली महफिल सजी, चले जाम पर जाम ।
रिन्दों ने की मस्तियाँ, शाम हुई बदनाम ।।
वफा न जाने बेवफ़ा ,क्या उस पर इल्जाम ।
खाया फरेब इस तरह, इश्क हुआ बदनाम ।।
सुशील सरना / 3-8-23
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on August 3, 2023 at 1:59pm — No Comments
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