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कवि - राज बुन्दॆली's Blog – September 2013 Archive (2)

कहानी और भी है,,,,,

कहानी और भी है,,,,,

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फ़ायलातुन  फ़ायलातुन   फ़ायलातुन  फ़ायलातुन

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मौज़-मस्ती इश्क़-उल्फ़त मॆं रुमानी और भी है ॥

डूब कर सुनना अभी आगॆ कहानी और भी है ॥१॥



सिर मुँड़ातॆ ही पड़ॆ ऒलॆ हमारी किस्मत रही,

हाल-खस्ता जॆब खाली कुछ निशानी और भी है ॥२॥



ख्वाब,आँसू,सिसकियां हैं,आज सारॆ यार अपनॆ,

कह रहॆ हैं लॆ मजा लॆ ज़िन्दगानी और भी है ॥३॥



आँसुऒं की बाढ़ आई है अभी सॆ राम जानॆं,

लॊग कहतॆ हैं अभी यॆ रुत सुहानी…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on September 17, 2013 at 10:01pm — 34 Comments

हास्य कॆ,,,,, दॊहॆ :-

हास्य कॆ,,,,,दॊहॆ :- ---------------------

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करियॆ साजन आज सॆ, सब्जी लाना बन्द ।

दिन-दिन दुर्लभ हॊ रहीं, जैसॆ मात्रिक छंद ॥१॥

परवल पीली पड़ गई, मिर्ची गई  सुखाय ।

बहुमत पाया प्याज नॆं,शासन रही चलाय ॥२॥

शपथ ग्रहण मॆंथी करॆ, मंत्री पद की आज ।

आलू कॆ सहयॊग सॆ, सिद्ध हुयॆ सब काज ॥३॥

लौकी कॊ तॊ चाहियॆ, रॆल प्रशासन हाँथ ।

कुँदरू गाजर घॆवड़ा, बावन संसद साथ ॥४॥

पालक खड़ी विपक्ष…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on September 4, 2013 at 3:30pm — 22 Comments

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