221 2121 1221 212
सूखी हुई है आज मगर इक नदी है तू
मैं जानता हूँ रेत के नीचे दबी है तू
मरना है एक दिन ये नई बात भी नहीं
जी लूँ ऐ ज़िंदगी तुझे जितनी बची है तू
आँखों को चुभ रही है अभी तेरी रौशनी
काँटा समझ रहा था मगर फुलझड़ी है तू
ऐ मौत कोई दूसरा दरवाजा खटखटा
आवाज़ मेरे दर पे ही क्यों दे रही है तू
हर बार ये लगा है तुझे जानता हूँ मैं
महसूस भी हुआ है कभी अजनबी है तू
आज़ाद हो रही…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on September 28, 2020 at 10:00pm — 18 Comments
1222 1222 122
धुआँ उठता नहीं कुछ जल रहा है
मुझे वो आग बन कर छल रहा है
पिछड़ जाउंँगा मैं ठहरा कहीं गर
ज़माना मुझसे आगे चल रहा है
बहुत ख़ुश था मैं तन्हाई में पर अब
ये सूनापन मुुझे क्यों खल रहा है
अंधेरे में उसे दिखता मैं कैसे
मगर फिर भी वो आँखें मल रहा है
बड़ा होकर दुखों में छाँव देगा
जो ये पौधा ख़ुशी का पल रहा है
निगल जाएगा मुझको भी अँधेरा
ये…
Added by सालिक गणवीर on September 20, 2020 at 1:30pm — 7 Comments
2122 2122 212
कह रहे हैं जब सभी तुम भी कहो
आँख मूँदो आम को इमली कहो
बोलते हो झूठ लेकिन एक दिन
आइने के सामने सच ही कहो
कौन रोकेगा तुम्हें कहने से अब
तुम ज़हीनों को भी सौदाई कहो
कैसे कहता कह न पाया आज तक
दोस्तों को जब कहो बैरी कहो
वो नहीं कहता है तू भी कह नहीं
जब कहे हाँ तुम भी तब हाँ जी कहो
वो बने हैं एक दूजे के लिए
दोस्तों उनको दिया बाती कहो
कह नहीं पाया मैं…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on September 17, 2020 at 8:30am — 8 Comments
122 122 122 12
जहाँ की नज़र में वो शैतान हैं
समझते हैं हम वो भी इंसान हैं
न हिंदू न यारो मुसलमान हैं
यहाँ सबसे पहले हम इंसान हैं
खु़दा कितने हैं ,कितने भगवान हैं
यही सोचकर लोग हैरान हैं
नहीं उनको हमसे महब्बत अगर
हमारे लिये क्योंं परेशान हैं
रिहा कर मुझे या तू क़ैदी बना
तेरे हैं क़फ़स तेरे ज़िंदान हैं
*मौलिक एवं अप्रकाशित.
Added by सालिक गणवीर on September 11, 2020 at 5:30pm — 11 Comments
221 2121 1221 212
क्या जाने किस जनम का सिला दे गया मुझे
था बेगुनाह फिर भी सज़ा दे गया मुझे
कैसे यक़ीन कीजिए ग़ैरों की बात का
समझा था जिसको अपना दगा दे गया मुझे
लम्बी हो उम्र मेरी दुआ मांँगता रहा
मरने की मुफ़्त में जो दवा दे गया मुझे
उसके इशारों को मैं समझ ही नहीं सका
गूंँगा था आदमी जो सदा दे गया मुझे
ग़ज़लें पुरानी ले गया आया था ख़्वाब में
इनके इवज में घाव नया दे गया मुझे
भीगा था जिस्म…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on September 6, 2020 at 10:00pm — 18 Comments
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