2122/1122 1122 1122 22 /112
जीभ ख़ुद की है तो दांतों से दबा भी न सकूँ
कैसे खामोश रहे इस को सिखा भी न सकूँ
उनका वादा है कि ख़्वाबों में मिलेंगे मुझसे
मुंतज़िर चश्म को अफसोस सुला भी न सकूँ
तश्नगी देख मेरी आज समन्दर ने कहा
कितना बदबख़्त हूँ मैं प्यास बुझा भी न सकूँ
मेरे रस्ते में जो रखना तो यूँ पत्थर रखना
कोशिशें लाख करूँ यार हिला भी न सकूँ
यहाँ तो सिर्फ अँधेरों के तरफदार बचे
छिपा रक्खा है,…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 27, 2017 at 9:00am — 31 Comments
2122 2122 212
दो पहर की धूप भी अच्छी लगी
साथ उनके हर कमी अच्छी लगी
यादों की थीं खुश्बुयें फैलीं वहाँ
तुम न थे फिर भी गली अच्छी लगी
कब कहा मैनें कि मैं था शादमाँ
कुल मिला कर ज़िन्दगी अच्छी लगी
सब में रहता है ख़ुदा ये मान कर
जब भी की तो बन्दगी अच्छी लगी
हाँ, ज़बाँ से भी कहा था कुछ मगर
जो नज़र ने थी कही, अच्छी लगी
दोस्ती तो थी हमारी नाम की
पर तुम्हारी दुश्मनी,…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 18, 2017 at 3:30pm — 17 Comments
1212 1122 1212 22
नहीं ये ठीक, मैं तन्हा उदास बैठा था
मैं उसकी ताब से खो कर हवास बैठा था
नज़र उठा के तेरी सिम्त कैसे करता मैं
नज़र से चल के कोई दिल के पास बैठा था
कहीं नदी की रवानी थमी थी पत्थर से
कहीं लिये कोई सदियों की प्यास बैठा था
है मोजिज़ा कि ख़ुदा का करम बहा मुझ पर
वो तर बतर हुआ जो मेरे पास बैठा…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 16, 2017 at 8:00am — 29 Comments
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |