एक मेरी कल्पना , एक मेरी अर्चना
हिंदी में ही स्वर सजें, हिंदी में ही गर्जना
माथे की बिंदी भी कही क्यूँ , ढूँढती अस्तित्व अपना
क्यूँ नहीं हमने निभाया माँ , भाष्य का दायित्व अपना
बहके हुए है हम सदा से , भाषा इंगलिस्तान में
बोलने में क्यूँ लाज आये, हिंदी हिंदुस्तान में
राष्ट्र के माथे की बिंदी , क्यूँ सभी हम नोचते
क्यों नहीं ये प्रण भी लेते , हिंदी में ही बोलते
Added by Ashish Srivastava on September 14, 2012 at 12:30pm — 5 Comments
दूंगा मैं लौटा तुम्हारी धरा ,
अगर तुम मेरे पंख बन कर उड़ो
संभालूँगा तुमको मैं हर मोड़ पर,
चलोगी कभी जब गलत राह पर
यही एक ख्वाहिश तुम्हारे हो मन में
मेरे साथ चलना बरस चौदह वन में
कभी राम का अनुसरण कर सकूँ तो
दायित्व सीता का गर तुम संभालो
कोई मित्र कलि युग की लंका दहन
भ्राता अगर मिल गया हो लखन
अगर रह सको तुम मन से भी पावन
तभी मर सकेगा यहाँ भ्रष्ट रावन
भारत बनेगा तभी फिर अयोध्या
कभी राम जैसे प्रकट होंगे योद्धा
गर कोई…
Added by Ashish Srivastava on September 12, 2012 at 8:30am — 1 Comment
Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 7:05pm — 4 Comments
हवा के रुख को जो मोड़े वही बादल घनेरा था
जगह बारिश की जो बदले वही झोंका हवा का था
बदल मैं क्यूँ नहीं पाया मोहब्ब्बत इश्क की राहें
तुम्हे मुझसे रही उल्फत, मगर मुझे इश्क तुमसे था
-----------------------------------------------------------
अगर मुझको मोहब्बत थी, तुम्हे फिर इश्क हमसे था
अधर में रह गया क्यूँ फिर मोहब्बत का मेरा किस्सा
लिखावट उस विधाता की , बदल…
Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 1:00pm — No Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |