ना रहे जो वक्त तो भी रहेगा वक्त ही
वक्त बेज़ुबां है तो भी कहेगा वक्त ही |
यूं तो गुज़र जाता है जिंदगी की तरह
जिंदगी के बाद तो भी रहेगा वक्त ही |
मैं उसे थामे चलूँ कितनी भी दूर ही
हाथ मेरा थाम तो भी चलेगा वक्त ही |
मेरी हर शै बढे या घटे है हर पल
जितना भी घटे तो भी बढेगा वक्त ही |
जो फैला है मार-काट साथ जिंदगी के
मारो किसी को तो भी कटेगा वक्त ही |
(मौलिक और…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 25, 2014 at 9:30pm — 9 Comments
धन प्रभुता ना मिले विद्वान् जो ना हो साथ |
कर्म यज्ञ में दे आहुति विद्वान् ही का हाथ ||
विद्वता का उपयोग कर धनवान धन कमाए|
विद्वान् इस राह चले तो धनी निर्धन बन जाए||
धनवान को वाहन मिले संग्रह करके धन |
विद्वान वाहन में घूमे निग्रह करके मन ||
धन की करे चौकीदारी हर रात धनवान |
ज्ञान का सृजन करे हर रात विद्वान् ||
(मौलिक और अप्रकाशित)
Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 15, 2014 at 11:30am — 5 Comments
आज फिर लड़खड़ाते कदमों से
गिरने की कोशिश की
यह लालच संजोये हुए कि
आप आ जाओगे
फिर से मुझे चलना सिखाने को
मेरी अंगुली पकड़ के
मुझे गिरने नहीं दोगे...
काश आपकी पदचाप फिर सुन पाता,
या काश, मेरे क़दमों को गिरते हुए
आपकी आदत ना होती..
साथ थे आप तो पैर अल्हड़ थे
घिसटते कदम थे चाल बेताल थी..
विश्वास था फिर भी ना गिरने का
आज आपकी याद है...
पैर तने हैं, कदम सधे हैं
चाल भी सीधी…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 11, 2014 at 9:00pm — 6 Comments
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