एक प्रयास 'मत्त सवैया' यानी 'राधेश्यामी छंद' का......
सरकार नहीं यह चेत रही, महँगाई जान जलाती है |
रोटी भी मुश्किल होय रही, दिन रात रुलाई आती है | |
हर पक्ष - विपक्ष नहीं अपना, सब अपना काम बनाते हैं |
हैं दुश्मन…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on September 23, 2012 at 10:05pm — 10 Comments
भारत माता की वाणी
हिंदी से जुडा
पावन अवसर,
आओ करें संकल्प
करेंगे इसका प्रयोग
हर स्तर पर...
हम रहें कहीं भी
नहीं भूलते
जैसे अपनी माँ को,
याद रखेंगे वैसे ही
हम हिंदी की गरिमा को...
इन्टरनेट पर
जहाँ कहीं भी
अंग्रेजी हो मजबूरी,
वहाँ छोड़कर
हो प्रयास कि
हिंदी से हो कम…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on September 13, 2012 at 10:00pm — 6 Comments
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on September 10, 2012 at 1:00am — 9 Comments
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