For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Brijesh Kumar Tripathi's Blog – October 2010 Archive (11)

तड़पन...

सुख दिए हैं आपने

मन में बड़ा उत्साह है …

उत्साह से उल्लास को कैसे मिटाऊँ

क्या करूँ ?

कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?



हर्ष जो उपजा हमारे ह्रदय में ,

मै छिपाऊँ या जताऊँ

किस तरह ?

क्या करूँ ?

कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?



शोक में या क्रोध में ,

मै शांत हो जाऊं ,

बताओ किस तरह ?

क्या करूँ ?

कैसे तुम्हारा प्रिय बनूँ ?



शांत मन जो व्यक्ति हैं ,

वे , तुम्हारे सर्वदा ही प्रिय रहे हैं .

मांग कर जो नित्य ही…
Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 31, 2010 at 10:00pm — 3 Comments

तुम हो कौन ?

आकाश के उस कोने मे जहाँ मेरी दृष्टि की सीमा है….

देखता हूँ किसी ना किसी पक्षी को नित्य ही ….

क्या यह मेरा अरमान है ?

एकाकी ही दूर तक उड़ते जाना.. सत्य की खोज मे….

क्या यह मेरे मन का भटकाव है ?



कभी उत्साह की बरसात होती है…

आशाओं का सवेरा

मन के अंधेरे को झीना कर जाता है…..

और तब दिखते हो तुम मुझे,

आनंद मे नहाए एकदम तरोताज़ा

सूरजमुखी का एक फूल…

यह नही है कोई भ्रम या भूल.



वर्जनाओं के कड़े पहरे मे

जब दीवाले कुछ मोटी होजाती… Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 29, 2010 at 9:00am — 1 Comment

तुम हो तो...

छुवन तुम्हारी यादों की भी न्यारी लगती है....

तुम हो तो यह सारी दुनिया प्यारी लगती है...



मन खोया रहता है तुम मे...

तुम हो मेरे अंतर्मन मे....

तुम से उत्प्रेरित मेरा मन...

तुमको करता नमन समर्पित

जीवन हो तुम. जीवन-धन भी,

सांसो मे तुम धड़कन मे भी...

दृष्टि तुम्हारी घोर तमस को झीना करती है...

तुम हो तो यह सारी दुनिया प्यारी लगती है...



क्या अंतर जो नही पास मे...

तुम हो मेरी सांस-सांस मे...

नेत्र बंद होते ही मेरे...

तुम…
Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 28, 2010 at 10:00pm — 1 Comment

कहे तो कैसे बोलो.....

चातक मन प्यासा फिरे, दोनों आँखें मूँद .

पियूँ-पियूँ रटता रहे, पिए न एको बूँद ...

प्यास कैसे बुझ पाय ?

मन की मन में रह जाय...

रूठा आज गुलाब है, मधुकर है बेचैन

भूली सारी गायकी,कटे न काटे रैन

कहाँ बोलो अब जाय..

प्रीति को कैसे पाय?

स्वाति टपके सीप में, मोती सी बन जाय

रेत,पंक में जा गिरे , तो दलदल ही कहलाय

संग का असर न जाय

कोई कैसे समझाय ?

मंहगाई सुरसा भई, अतिथि हुए हनुमान...

सुरसा-मुख घटना नहीं,तुम्ही घटो मेहमान...

कोई अब क्या…

Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 26, 2010 at 10:30pm — 5 Comments

छोटू...



छोटू है वह

होटल में बर्तन धोता है ...

सुबह-शाम भोजन पाने को

मालिक की झिडकी सहता है ...



गोरा है...पर हाथ-पाँव में मैल जमा है..

स्नान करे कब?बहुत व्यस्त है ...

हाथ-पैर-मुंह तक धोने का होश नहीं है .



"छोटू",मैंने एक दिन पूंछा उससे,

"स्कूल जाओगे?"

"अभी गया था..चाय बाँट कर आया हूँ मै"

बोला मुझसे,"फिर जाना है ...वापस जूंठे ग्लास उठाने.."

"नहीं...टांग कर बस्ता पीछे,

जाओगे क्या… Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 26, 2010 at 7:00am — 12 Comments

अब तो बस नयन बरसते हैं

सावन की घटा घहराती हैं,

मन में हलचल कर जाती हैं ..

विरही मन छोड़ रूठना अब,

प्रियतम की याद सताती है...

काले पीले बादल आते,

वर्षा की आशा ले आते,

मन हरा भरा हो जाता तब,

प्रियतम फिर से घर को आते,

प्रियतम की यादों को सावन,

फिर घेर घेर ले आता है,

दर्शन की अमित चाह में अब,

जीवन उत्साह बढ़ाता है ...

मन व्याकुल है तन आकुल है,

है कंठ रुद्ध आशा अपूर्ण..

प्रिय आँखों में बस जाओ तो,

जीवन हो… Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 24, 2010 at 3:30pm — 4 Comments

मेरी भारत माँ....

आभार तुम्हारा कैसे माँ, मै व्यक्त करूँ....?

जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ....?



तेरी मिट्टी की खुशबू माँ ...

मेरे तन मन मे छाई है.....

तेरी आशीषें ले कर ही...

पुरवाई फिर से आई है....

सुख यश की इन सौगातों का उपकार मै कैसे व्यक्त करूँ...?

जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?



तेरी मिट्टी से जो उपजा ,

वह अन्न बड़ा बलदायी है...

तुझको छू कर ही पवन आज

शीतल है...व सुखदाई है...

इन सुंदर सुखद बहारों का मै मोल तुम्हे कैसे…
Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 23, 2010 at 8:30am — 3 Comments

वो छूटीं प्यार की बातें....



जो बातें प्यार की छूटीं हैं अब तक,

आज करनी हैं …

सुनो जी काम छोड़ो , पास बैठो…

शाम की गाड़ी पकड़नी है ….



वो पैंतीस साल पहले रात,

जो आई सुहानी थी…

वो गुजरी रात मे अभिसार की,

प्यारी कहानी थी ….



वो जो छूटीं रहीं इनकार मे थीं …

प्यार की बातें….

वो जो मूंदीं ढकीं इनकार मे थीं ,

प्यार की बातें….



वो जिनके बीच

मुन्नू और चुन्नू का बहाना था…

वो जो…
Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 21, 2010 at 9:30pm — 6 Comments

थरथराते दोहे....

कोहरे से और बर्फ से, मिला हवा ने हाथ!

अबकी जाड़े में दिया, फिर सूरज को मात !! १



काँप रहा है भीति से, लोक तंत्र का बाघ!

संबंधों में शीत है, और फिजां में आग !!२



रिश्ते नातों में लगा, शीतलता का दाग !

काँप रही है देखिये, कैसे थर-थर आग !!३



फिर पतझड़ की याद में, वृक्ष हो गए म्लान!

छेड़ रहे हैं रात भर, दर्द भरी एक तान !!४



धूप भली लगती कहाँ, याद आ रही रात !

ऊष्ण वस्त्र तो हैं नहीं होना है हिमपात !!५



पहरा देती है हवा,…

Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 15, 2010 at 11:00pm — 4 Comments

चलो निरंतर..चलो निरंतर.

जिसके पैर न रुकना जाने ,

जिसके हाथ न थकना जाने

सुनो ध्यान से ;

हरदम उसका

भाग्य-लक्ष्मी पीछा करती...

सखा उसी का होता ईश्वर...

जग में वही सफल होता है .

और वही रोता है हरदम...

दुखी दरिद्री भी होता है

पाप उसी को सदा दबाते

कर्महीन जो नर होता है.

त्याग नींद आलस्य इसीसे

शुभ कर्मो को करो निरंतर ...

.......चलो निरंतर -१-



सोये पड़े व्यक्ति का देखो

सोया पड़ा भाग्य रहता है

उठ बैठे तो भाग्य उठेगा

चल पड़ने से चल निकलेगा… Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 12, 2010 at 11:00pm — 1 Comment

विजय-गीत

देखो पुकार कर कहता है

भारत माँ का कण-कण, जन जन

हम बने विजय के अग्रदूत

भारत माँ के सच्चे सपूत...



हम बढ़ें अमरता बुला रही...

यश वैभव का पथ दिखा रही ...

यश-धर्म वहीँ है, विजय वहीँ..

जिस पल जीवन से मोह नहीं

आसक्ति अशक्त बनाती है ...

यश के पथ से भटकाती है ...

जो मरने से डर जाता है...

वह पहले ही मर जाता है ...



हम पहन चलें फिर विजयमाल,

रोली अक्षत से सजा भाल...

हम बनें विजय के अग्रदूत...

भारत माँ के सच्चे…
Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 6, 2010 at 9:11am — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service