बावरिया हो भागती, सजनी ज्यों पिय ओर l
दीवानी मीरा बनी, थाम कन्हैया डोर ll
थाम कन्हैया डोर, प्रेम में सुध बुध हारी l
मोहबंध सब त्याग, पुकारूँ बस गिरधारी ll
प्राण भक्ति में लीन, ओढ़ चूनर केसरिया l
प्रभु संग मधुर मिलन, हुई…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on October 31, 2012 at 3:07pm — 16 Comments
शक्ति रूपिणी हे माँ अम्बा l वंदन स्वीकृत कर जगदम्बा ll
जय जय जय हे मातु भवानी l नत मस्तक हैं हम अज्ञानी ll
थामो माँ चेतन की डोरी l कर दो मन की चादर कोरी ll
हर क्षण हो इक नया सवेरा l तव प्रांगण नित रहे बसेरा ll
माँ ममता से हमको भर दो l हृदय प्रेम का सागर कर दो ll
अंगारे भी पग सहलाएँ l पुष्प बनें सुरभित मुस्काएँ ll
नयन समाय प्रेम की धारा l भटकन मन की पाय किनारा ll
वाणी बहे अमृत सी निर्मल l कर्म सहस्त्रान्शु…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on October 22, 2012 at 9:18pm — 12 Comments
सप्त पदी को पार करेंगे (०९-१०-२०१२)
हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,
वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...
चंचल चित्त माधुरी शोखी
और कभी गहरी ख़ामोशी,
प्रिय की हर इक भाव लहर से
अपना नव शृंगार करेंगे...
हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,
वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...
प्रिय के हिय में मुस्काएंगे
नयन प्रीति भर इतरायेंगे,
कर्म क्षेत्र में…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on October 9, 2012 at 10:00pm — 34 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on October 3, 2012 at 9:30am — 16 Comments
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