1222/ 1222/ 1222/ 1222
.
नहीं चलता है वो मुझ को जो कहता है कि चलता है,
यही अंदाज़ दुनियाँ का हमेशा मुझ को खलता है.
***
सलामी उस को मिलती है, चढ़ा जिसका सितारा हो,
मगर चढ़ता हुआ सूरज भी हर इक शाम ढलता है.
***
न तुम कोई खिलौना हो, न मेरा दिल कोई बच्चा,
मगर दिल देख कर तुमको न जाने क्यूँ मचलता है.
***
किनारे है…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 27, 2013 at 8:30am — 12 Comments
२१२२ १२१२ २२
.
वक़्त ज़ाया करो, न राहों में,
मंजिलों को रखो निगाहों में.
.
फूल ही फूल दिल में खिलते है,
आप होते हो जब भी बाहों में.
.
है नुमाया पता नहीं क्या कुछ,
और क्या कुछ छुपा है चाहों में.
.
तख़्त ताज़ों को ये उलट देंगी,
वो असर है मलंग की आहों में.
.
है डराती मुझे मेरी वहशत,
तू मुझे ले ही ले पनाहों में.
.
आज है वक़्त तू संभल नादां,
क्यूँ फंसा है बता गुनाहों में.
.
साथ देने लगे हो…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2013 at 11:47am — 14 Comments
122, 122, 122, 122
कोई दर्द आँखों में दिखता नहीं है,
है इंसान कैसा, जो रोया नहीं है??
***
मेरी बात मानों, न यूँ ज़िद करो अब,
दुखाना किसी दिल को अच्छा नहीं है.
***
सभी है किसी और की खाल ओढ़े,
तेरे शह्र में, कोई सच्चा नहीं है.
***
मुझे देख रंगत बदलता है अपनी,
वगरना वो बीमार लगता नहीं है.
***
लगाया करो आँख में…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 6:27pm — 13 Comments
१२२२,१२२२,१२२२,१२२२
.
वो लेतें है शिकायत में, कि लेतें है मुहब्बत में,
हमारा नाम लेतें है वो अपनी हर ज़रूरत में,
***
मै राजा और तुम रानी, ये दुनियाँ सल्तनत अपनी,
हक़ीक़त में नहीं होता, ये होता है हिक़ायत में.
***
ये रुतबा, ओहदा, शुहरत, सभी हमनें भी देखें है,
छुपा है कुछ, नुमाया कुछ, शरीफ़ों की शराफ़त में.
***
मेरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम क़ातिल ने मढ़ा मुझ पर,
गवाही भी वही देगा, वो ही मुंसिफ़…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 9:40am — 24 Comments
1212 1122 1212 22 .... अंतिम रुक्न ११२ भी पढ़ा गया है ..
.
नज़र, नज़र से मिला, सब्र आज़माते रहे,
मेरे रक़ीब मुझे देख, तिलमिलाते रहे.
.
घटाएँ, रात, हवा, आँधियाँ करें साज़िश,
मगर चिराग़ ये बेखौफ़ जगमगाते रहे.
.
गुनाह, जुर्म, सज़ा, माफ़ आपकी कर दी,
ये कह दिया तो बड़ी देर सकपकाते रहे.
.
खफ़ा खफ़ा से रहे बज़्म में सभी मुझसे,
वो पीठ पीछे मेरे शेर गुनगुनाते रहे.
.
मिला हमें न सुकूँ दफ्न कब्र में होकर,
किसी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 20, 2013 at 10:30pm — 26 Comments
1212 1122 1212 22
झटक के ज़ुल्फ़ किसी ने जो ली है अंगडाई,
ये कायनात लगे है हमें कुछ अलसाई.
**
किसी से प्यार न पाया सभी ने ठुकराया,
मिली यहाँ है मुहब्बत में सिर्फ रुसवाई.
**
किये थे रब्त सभी आपने कत’आ मुझसे,
जो कामयाब हुआ तब बढ़ी शनासाई.
**
बता रहे थे मुझे, एक दिन, सभी पागल,
हुए सभी वो यहाँ लोग, आज सौदाई.
**
मुहब्बतों के सफ़र से ही लौट कर हमनें,
न करिए इश्क़ कभी, बात सबको समझाई.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 17, 2013 at 3:30pm — 11 Comments
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,
**
हुआ है तज्रिबा मत पूछ हम को क्या मुहब्बत में,........पहले तज़ुर्बा लिखा था जो गलत था .. अत: मिसरे में तरमीम की है.
लगा दीदा ए तर का आब भी मीठा मुहब्बत में.
**
जो चलते देख पाते हम तो शायद बच भी सकते थे,
नज़र का तीर दिल पे जा लगा सीधा मुहब्बत में.
**
ख़ुमारी छाई रहती है, ख़लिश सी दिल में होती है,
अजब है दर्द जो ख़ुद ही लगे चारा मुहब्बत में.
**
रवायत आज भी भारी ही…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on October 17, 2013 at 9:00am — 16 Comments
1 २ १ २ २ / १ २ १ २ २/ १ २ १ २ २ /१ २ १ २ २
चलो चलें अब यहाँ से यारो, रहा न अपना यहाँ ठिकाना,
नहीं रहा अब, जो हम से रूठे, किसे भला है हमें मनाना.
***
था इश्क़ हमको, था इश्क़ तुमको, मगर बगावत न कर सकें हम,
न तुम ने छोड़ा, न बेवफ़ा हम, न तुम ने समझा, न हम ने जाना.
***
शराब छोड़ी, नशा बुरा था, नज़र से पी ली, नज़र मिलाकर,
नज़र नज़र में नशा चढ़ा यूँ, वो भूल बैठा मुझे पिलाना.
***
न फेरियें मुंह, अभी से साहिब, अभी सफ़र ये शुरू हुआ है,
कत’आ करो…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 15, 2013 at 1:00pm — 21 Comments
1222, 1222, 122.
.
ज़रूरत से ज़ियादा क्यूँ करें हम?
लहू दिल से निचोड़ा क्यूँ करें हम?
.
फ़ना हो जाएगा सबकुछ जहां में,
ये झूठा फिर दिखावा क्यूँ करें हम?
.
उगेंगे एक दिन कांटें ही कांटें,
ज़हन में याद बोया क्यूँ करें हम?
.
नहीं परवाह है उनको हमारी,
बिना कारण ही रोया क्यूँ करें हम?
.
हमारे काम खुद ही बोलतें है,
ज़ुबानी कोई दावा क्यूँ करें हम?
.
जुदा है रास्ते तुमसे हमारे,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 13, 2013 at 12:30pm — 26 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |