(1)
मोहक वन
सरि की कलकल
बहका मन
(2)
कोयल प्यारी
नित कूँ कूँ करती
जान हमारी
(3)
कार्तिक मास
झूम रही धरती
बुझेगी प्यास
(4)
यात्रा में रेल
दौड़ता सबकुछ
लगता खेल
(5)
मनवा भावे
सुन्दर है नईया
वायु हिलोर
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Pawan Kumar on October 30, 2014 at 6:00pm — 12 Comments
"माँ ! आज मैं सुबह ही सभी के घर जाकर, दियो में बचे हुए तेल इकठ्ठा कर लाया हूँ,
आज तो पूड़ी बनाओगी ना? "
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Pawan Kumar on October 18, 2014 at 3:30pm — 14 Comments
प्रथम प्यार की आस में
मैने किया प्रयास
सजनी एट्टीट्यूड में
तनिक न डाले घास
पोथी पढ़कर प्यार की
तनिक न असर बुझाय
जब-जब भी कोशिश किया
चप्पल-जूताखाय
हर महफिल हर रंग में
चेहरा जिसका भाय
उसने राखी बाँध के
भाई लिया बनाय
घरवालों की मान के
डाल दिया जयमाल
दो दो मेरे सालियाँ
पकड़ के खीचें गाल
मारा-मारा फिर रहा
जबसे हुआ विवाह
बीबी ऐसी मिल गई
रहती…
Added by Pawan Kumar on October 13, 2014 at 12:00pm — 8 Comments
" बेटा, तुम जब भी शहर से आते हो तो घर में कम और इस पेंड़ के पास ज्यादे समय बिताते हो, घर में मन नही लगता क्या..."
" चाचा, यहाँ बड़ा सुकून मिलता है! याद है आपको जब मैं नर्सरी में पढता था! एक बार वहाँ पौधशाला वाले पौधे बाँट रहे थें, ये आम का पेंड़ मैं वहीं से लाया था, पिता जी पौधों के प्रति मेरा प्रेम देखकर बहुत खुश हुए थें! इसे उन्होने अपने हाथों से लगाया था और खाद-पानी भी समय-समय से दिया करते थें! इसे वे बहुत प्यार करते थें, इसीलिए कुछ पल इसकी छाया में बिताना, पिता जी के स्नेह की…
ContinueAdded by Pawan Kumar on October 8, 2014 at 12:30pm — 16 Comments
अपने जज्बात दिखाओ तो क्या बात हो
खुल के हर बात बताओ तो क्या बात हो
सभी ने दिन में हैं तारे ही दिखाये मुझको
तुम कभी चाँद दिखाओ तो क्या बात हो
वो अकेला ही चल पड़ा राहे-सच्चाई
दो कदम साथ मिलाओ तो क्या बात हो
मेरे…
ContinueAdded by Pawan Kumar on October 6, 2014 at 5:30pm — 4 Comments
मिलती है तूँ ख्वाबो में,
अक्सर ऐसा क्यूँ होता है!
तेरी यादों के घेरे में,
ये दिल चुपके से रोता है!
आँखों का भी क्या कहना,
ना जाने कब सोता है!
दीदार तेरे कब होंगे,
सपने यही संजोता है!
मन रहता है विचलित सा,
क्या पाया, क्या खोता है!
तन भी लगता है मैला
पापो की गठरी ढ़ोता है!
खुद की भी परवाह नही,
अब ऐसा क्यूँ होता है!!
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Pawan Kumar on October 1, 2014 at 10:30am — 6 Comments
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