Added by seemahari sharma on October 19, 2014 at 4:34pm — 11 Comments
Added by seemahari sharma on October 18, 2014 at 2:43pm — 8 Comments
*जीवन चुपके से बीत गया*
जीवन का जो पल बीत गया
जो पल जीने से शेष रहा
पहचान नहीं कर पाया मन,
पल धीरे धीरे रीत गया
जीवन .....
ऐसे जी लूँ वैसे जी लूँ
जीवन कैसे कैसे जी लूँ
तैयारी मन करता ही रहा,
रोज लिखूँ कोई गीत नया।
जीवन....
सब अंधी दौड़ के प्रतियोगी
योगी मन भी बनते भोगी
अजब निराली मन की तृष्णा,
जब भी जीती मन भीत गया।
जीवन.....
खुद को जानूँ जग को मानूँ
जीवन रहस्य सब पहचानूँ
जग सृजक…
Added by seemahari sharma on October 16, 2014 at 10:30am — 18 Comments
Added by seemahari sharma on October 13, 2014 at 5:34pm — 14 Comments
Added by seemahari sharma on October 8, 2014 at 4:35pm — 6 Comments
Added by seemahari sharma on October 7, 2014 at 7:18pm — 16 Comments
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