"क्या बात है वर्मा जी i सत्तर की उम्र में भी आप युवाओं से ज्यादा चुस्त हैं " पार्क से निकलते हुए मैंने वर्मा जी से कहा I
"पूरे नियम से रहता हूँ Iघूमना ,योग , स्वस्थ भोजन, पंद्रह सालों से टस से मस नहीं हुआ है नियम I "गर्व से दमक रहा था उनका चेहरा I
"बिल्कुल, वो तो दिखता है I"
"सुबह निम्बू शहद पानी से लेकर रात को सोने से पहले हल्दी के दूध तक ,एक भी दिन चूक नहीं होती है I"
"किससे?"
"मिसेज़ से और किससे ,वो ही तो ध्यान रखती है रूटीन का Iऔर हाँ , घर में नौकर…
ContinueAdded by pratibha pande on October 22, 2015 at 9:19am — 13 Comments
कभी अतीत फंद में ,कभी भविष्य द्वन्द में
खुद को ढूँढती फिरूँ कूप कोई अंध में
शब्द ठिठके से खड़े ,भाव बहने पे अड़े
अश्रु भी लो अब यहाँ ,बन गए जिद्दी बड़े
अब रुकेंगे ये कहाँ छन्द के किसी बंद में
खुद को ढूँढती फिरूँ कूप कोई अंध में
प्रेम में रहस्य क्या ,जो छिपा वो प्रेम क्या
प्रेम हो कुछ इस तरह ,उदय रवि लगे नया
खुल जाय हर इक गिरह, मुस्कान एक मंद में
खुद को ढूँढती फिरूँ कूप कोई अंध में
ह्रदय धरा…
ContinueAdded by pratibha pande on October 2, 2015 at 11:12am — 14 Comments
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