२१२२, ११२२, २२/ ११२
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बात जो तुम से निभाई न गई,
बस वही हम से भुलाई न गई.
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वो नई रोज़ बना ले दुनियाँ,
हम से किस्मत भी बनाई न गई.
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थी दरो दिल पे छपी इक तस्वीर,
जल गया जिस्म, मिटाई न गई.
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बस मेरे हक़ में बयाँ देना था,
उन से आवाज़ उठाई न गई.
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ख्व़ाब था दिल से मिला लें हम दिल,
आँख से आँख मिलाई न गई.
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हम गले मिलते भला…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 21, 2013 at 7:30am — 20 Comments
२२१ २/१२२ /२२१ २/१२२
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मेरा जह्न बुन रहा है, हर रब्त रब्त जाले,
पढता ग़ज़ल मै कैसे, लगे हर्फ़ मुझ को काले.
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मेरी धडकनों का मक़सद मेरी जिंदगी नहीं है,
के ये जिंदगी भी कर दी किसी और के हवाले.
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मेरी नाव डूबती है, तेरे साहिलों पे अक्सर,
मुझे काश इस भँवर से तेरी आँधियाँ निकाले.
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अगर आ सके, अभी आ, तुझे वास्ता ख़ुदा का,
मेरा दम निकल रहा है, मुझे गोद में समा ले.
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रहा देर तक भटकता किसी छाँव के लिए वो,…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 19, 2013 at 3:25pm — 24 Comments
1212 1122 1212 22
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किसी के दिल से, निगाहों से जो उतर जाए,
भला वो शख्स अगर जाए तो किधर जाए.
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बहुत उड़ान ये भरता है आसमानों की,
कोई तो चाँद के दो चार पर क़तर जाए.
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सुलग रहे है जुदाई की आग में हम तुम,
इस आरज़ू में जले है, ज़रा निखर जाए.
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पता नहीं हैं हुई क्या हमारी मंज़िल अब,
निकल पड़े हैं जिधर लेके रहगुज़र जाए.
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सँभालियेगा इसे आप अब नज़ाक़त से,
कहीं न दिल ये मेरा टूट कर बिखर…
Added by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2013 at 8:38am — 17 Comments
२ १ २ २ १ १ २ २ १ १ २ २, २ २ /११२
दिल के ज़ख्मों से उठी जब से गुलाबी ख़ुशबू,
शह्र में फ़ैल गई मेरी वफ़ा की ख़ुशबू.
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ये महक, बात नहीं सिर्फ हिना के बस की,
गोरी के हाथों महकती है पिया की ख़ुशबू.
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फूल को ख़ुद में समेटे हुए थी कोई क़िताब,
फूल से आने लगी आज क़िताबी ख़ुशबू.
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वो कडी धूप में निकले तो हुआ यूँ महसूस,
जैसे निकली हो पसीने में नहाती ख़ुशबू.
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चंद लम्हात गुज़ारे थे तुम्हारे नज़दीक़, …
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:41am — 17 Comments
उठेगी जब तेरी अर्थी, ये नज्ज़ारा नहीं होगा,
चिता को आग देगा, क्या, तेरा प्यारा नहीं होगा?
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हमारे आंसुओं को तुम जगह लब पर ज़रा दे दो.
यकीं जानों कि इनका ज़ायका खारा नहीं होगा.
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नज़र मुझ से मिलाकर अब ज़रा वो बेवफ़ा देखे,
फिर उसके पास मरने के सिवा चारा नहीं होगा.
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बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,
जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा.
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ठहरता ही नहीं है ये कहीं भी एक भी पल को,
समय सा कोई भी फक्कड़ या…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 12, 2013 at 10:48pm — 17 Comments
२१२२, २१२२, २१२
चाँद सूरज और सितारे आ गए,
ख्व़ाब में क्या क्या नज़ारे आ गए.
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ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए.
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जब नज़र की बात नज़रों नें सुनी,
दरमियाँ क्या कुछ इशारे आ गए.
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है समाई धडकनों में धडकनें,
पास वो इतने हमारे आ गए.
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जब मिला ग़म या ख़ुशी कोई मिली,
आँखों में दो अश्क़ खारे आ गए.
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मौलिक व अप्रकाशित
निलेश 'नूर'
Added by Nilesh Shevgaonkar on November 10, 2013 at 9:30pm — 22 Comments
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