शोर होता रहा रोशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे चाशनी के लिये |
बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाँदनी के लिये |
लूट मचती रही चीख होता रहा ,
अश्क गिरते रहे ज़िंदगी के लिये |
हाथ बाँधे खड़े देखते रह गये ,
घर जला आग में दोस्ती के लिये |
नाव डूबी वहीँ आब ना था जहाँ ,
यार बैरी बना…
Added by Shyam Narain Verma on November 22, 2014 at 5:00pm — 7 Comments
सुना है सितारे सजाने लगे हैं |
सभी को गले से लगाने लगे हैं |
वहीँ जो लिए सात फेरे ख़ुशी में ,
जुदा हो ग़मों में जलाने लगे हैं |
नदी में नहा के किनारे खड़े हैं ,
जिगर से लगा के भुलाने लगे हैं |
जिसे देव माना सहारा समझ के ,
बेगाना बनाके सताने लगे हैं |
कहानी पुरानी वहीँ है ए वर्मा ,
निगाहें अभी भी…
Added by Shyam Narain Verma on November 15, 2014 at 11:30am — 2 Comments
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