फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
.
धीरे- धीरे सब हुनर दिखने लगा।
उसमें कितना है जहर दिखने लगा।
आँख में कैसी खराबी आ गर्इ,
राहजन ही राहबर दिखने लगा।
लाख डींगे मारिये बेषक मगर,
आप के चेहरे से डर दिखने लगा।
जो दवायें दी थीं चारागर ने कल,
उन दवाओं का असर दिखने लगा।
जो कभी झुकता नहीं था दोस्तो
अब वही सर पाँव पर दिखने लगा।
जानवर तो जानवर हैं छोडि़ये,
आदमी भी जानवर दिखने…
Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 25, 2013 at 7:30pm — 15 Comments
मफार्इलुन मफार्इलुन मफार्इलुन फअल
समझते थे उगा सूरज सवेरा हो गया ,
यहाँ तो और भी गहरा अंधेरा हो गया।
जरा सा फर्क आया क्या दिलों में एक दिन ,
सगी बहनों में तेरा और मेरा हो गया।
कभी पहले से कोर्इ तय नहीं होती जगह ,
जहाँ चाहा वहीं संतो का डेरा हो गया।
कटेगी राम जाने किस तरह से जिन्दगी ,
मगर के साथ मछली का बसेरा हो गया।
फंसा कर जाल में मानेगा ही अब तो उसे ,
सुनहरी मछली पे मोहित मछेरा हो…
Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 6, 2013 at 8:30pm — 11 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |