For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ram Awadh VIshwakarma's Blog – November 2017 Archive (3)

ग़ज़ल - ज़माना खराब है

मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन



हर सू है मारधाड़ ज़माना ख़राब है।

खोलो नहीं किवाड़ ज़माना ख़राब है।



गुन्डों को सीख दे के मुसीबत न मोल लो,

ये देंगे घर उजाड़ ज़माना ख़राब है।



ले दे के अपना काम कराओ किसी तरह

कर लो कोई जुगाड़ ज़माना ख़राब है।



बच्चे भी तंज कसते हैं मुझ पर अदा के साथ,

हँसते हैं दाँत फाड़ ज़माना ख़राब है।



पहले कभी हमारे भी क्या ठाठ बाट थे,

अब झोंकते हैं भाड़ ज़माना खराब है।



अब दो टके में भी न कोई पूछता मुझे,

मैं… Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 28, 2017 at 10:50pm — 11 Comments

ग़ज़ल- अभी तक शख्स वो जिन्दा है साहब

मफाईलुन मफाईलुन फऊलुन

1222 1222 122





अभी तक शख्स वो जिन्दा है साहब।

निडर होकर जो सच कहता है साहब।



सभी हैं अपनी अपनी जिद पे कायम,

किसी की कौन अब सुनता है साहब



झगड़ने का कोई मुद्दा नहीं है,

यहाँ बेबात का झगड़ा है साहब।



बचाने को हमें ठिठुरन से सूरज,

बहुत दिन बाद फिर निकला है साहब।



ग़रीबी मुल्क से जायेगी अब तो,

सभी अखबार में चर्चा है साहब।



बुजुर्गों से बहुत आगे हैं बच्चे,

जमाना कुछ न कुछ बदला है… Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 20, 2017 at 2:53pm — 5 Comments

ग़ज़ल - जानवर कितने समझदार मिले

बह्र- फाइलातुन मुफाइलुन फैलुन

2122 1212 22



शेर की खाल में सियार मिले।

जानवर कितने समझदार मिले।



मुझसे जो दूर दूर रहते थे,

जब पड़ा काम बार बार मिले।



जिनकी किस्मत में सिर्फ बीड़ी है,

उनके होठो पे कब सिग़ार मिले।



हर किसी की यही तमन्ना है,

देश में सबको रोजगार मिले।



कैसी हसरत है नौजवानों की,

उनको शादी मैं मँहगी कार मिले।



उसने टरका दिया हमें हर बार,

उससे दफ्तर में जितनी बार मिले।



अपनी किस्मत… Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 3, 2017 at 10:39pm — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service