अजी सुनते हो ..... पप्पू के पापा ।
धीरे बोलो भागवान, पड़ोसी क्या सोचेंगे।
मैंने कहा छोटे बड़े मँझले साहित्यकारों और पुरस्कृत कुछ लोग लुगाइयों में सम्मान लौटाने की होड़ लगी है। इन सब के थोपड़े हर चैनल्स में बार बार दिखाया जा रहा है। आप भी अपना सम्मान लौटा दीजिये।
कौन सा सम्मान ?
ये लो, ऐसे पूछ रहे हो जैसे 10–20 पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके हो और सिर्फ नोबेल पुरस्कार ही लेना बाकी है। अरे जीवन में एक ही बार तो सम्मानित…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 20, 2015 at 2:19pm — 9 Comments
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