हम खुशियों के दीप जलाकर मना रहे हैं दीपोत्सव
सच्चे विकास का संकल्प लेकर आगे बढ़ते प्रतिदिन
रूढ़िवादिता को त्यागकर हम करते नवयुग का वंदन
प्रेम का पावन पौध उगाकर करते एकता का संवर्धन
अज्ञानता की घनी रात का ज्ञानदीप से करते स्वागत
मतभेदों को आज हटाकर हम करते सबका अभिनंदन
भूल सारी बैर भावना करते देश हित में आत्म समर्पण
दुख से ग्रसित सभी जनों की पीड़ा का करते हम मर्दन
फूल और कांटे ज्यों सब मिलकर शोभित करते उपवन
भँवरे मिलकर…
ContinueAdded by Ram Ashery on November 14, 2015 at 9:58am — 1 Comment
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