Added by सूबे सिंह सुजान on November 26, 2012 at 11:41pm — No Comments
Added by सूबे सिंह सुजान on November 24, 2012 at 10:10pm — 2 Comments
जिंदगी तेरा दायरा मालूम........
इस जमाने का फलसफा मालूम।।
किस तरह आये थे यहाँ मालूम ,
और जाने का रास्ता मालूम........
रात दिन सामना सवालों से,
मन में है कितनी दुविधा मालूम।।
भूख से पेट खाली है कितना,,
जबकि मौसम है खुशनुमा मालूम।।
लोग खुश हैं कि मर गया सुजान,,
कौन थे ये पता करो मालूम।। सूबे सिंह सुजान
Added by सूबे सिंह सुजान on November 20, 2012 at 9:39pm — No Comments
Added by सूबे सिंह सुजान on November 15, 2012 at 10:09pm — 1 Comment
अमन के दीप जलाओ बहुत अंधेरा है
चलो दिवाली मनाओ बहुत अंधेरा है।।
समस्त विश्व में घनघोर रात छाई है,
सितारों चाँद बुलाओ बहुत अंधेरा है।।
Added by सूबे सिंह सुजान on November 13, 2012 at 2:38pm — 2 Comments
प्रकाश रात खिली है हृदय पटल को खोल
संदेश सबको यही है कि जिंदगी अनमोल।।
Added by सूबे सिंह सुजान on November 12, 2012 at 10:20pm — 1 Comment
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हृदय की तरल अग्नि रचती है जीवन
यहीं जन्म लेते हैं वियाग और मधुवन
क्षमा और प्रतिशोध की कैसी माया,
हृदय नभ सो उत्पन्न हो करते नर्तन।
सूबे सिहं सुजान
11.11.12
Added by सूबे सिंह सुजान on November 11, 2012 at 11:15pm — 2 Comments
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