For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूबे सिंह सुजान's Blog – November 2012 Archive (7)

रूबाई.......

रूबाई
.....................................
कुछ कहते हैं परिधान बदल कर देखो।
कुछ कहते हैं पकवान बदल कर देखो।
लेकिन मैं तो भगवान से ये कहता हूँ।।
भगवान ये इन्सान बदल कर देखो।। सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on November 26, 2012 at 11:41pm — No Comments

हिन्दी भाषा-1

जिनकी मातृ भाषा हिन्दी है वे हिन्दी का कितना प्रयोग करते हैं। यह सोचनीय है लेकिन एक अच्छी बात यह है हिन्दी बोलने वालों की,, कि वे दूसरी भाषाओं को आसानी से प्रयोग करने का प्रयास करते हैं और यही कारण है कि हिन्दी का प्रयोग भी बढता जा रहा है। यह सत्य उस तरह से है जैसे कोई दूसरे से अच्छा व्यवहार करता है तो सामने वाला भी उससे उतना ही अच्छा व्यवहार करता है।



उदहारण…
Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on November 24, 2012 at 10:10pm — 2 Comments

जिंदगी तेरा दायरा मालूम..........

जिंदगी तेरा दायरा मालूम........

इस जमाने का फलसफा मालूम।।

किस तरह आये थे यहाँ मालूम ,

और जाने का रास्ता मालूम........

रात दिन सामना सवालों से,

मन में है कितनी दुविधा मालूम।।

भूख से पेट खाली है कितना,, 

जबकि मौसम है खुशनुमा मालूम।।

लोग खुश हैं कि मर गया सुजान,,

कौन थे ये पता करो मालूम।।   सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on November 20, 2012 at 9:39pm — No Comments

जिंदगी मांगे...

उसने जो खा लिया वही मांगे.........
इस तरह कैसे जिंदगी मांगे........।

आज माहौल यूँ बनाया है।।
कुछ ग़लत कुछ कहें सही मांगे

सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on November 15, 2012 at 10:09pm — 1 Comment

एक मुक्तक--दिवाली पर

अमन के दीप जलाओ बहुत अंधेरा है

चलो दिवाली मनाओ बहुत अंधेरा है।।

समस्त विश्व में घनघोर रात छाई है,

सितारों चाँद बुलाओ बहुत अंधेरा है।।

Added by सूबे सिंह सुजान on November 13, 2012 at 2:38pm — 2 Comments

प्रकाश पर्व

प्रकाश रात खिली है हृदय पटल को खोल
संदेश सबको यही है कि जिंदगी अनमोल।।

Added by सूबे सिंह सुजान on November 12, 2012 at 10:20pm — 1 Comment

मुक्तक--हृदय की तरल अग्नि..

............................................................................................................

हृदय की तरल अग्नि रचती है जीवन

यहीं जन्म लेते हैं वियाग और मधुवन

क्षमा और प्रतिशोध की कैसी माया,

हृदय नभ सो उत्पन्न हो करते नर्तन।

                                     सूबे सिहं सुजान

11.11.12

Added by सूबे सिंह सुजान on November 11, 2012 at 11:15pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service