रविवार का दिन था। सज्जनदासजी के घर पड़ौसी प्रकाश चौधरी आ कर चाय का आनंद ले रहे थे।
बातों बातों में प्रकाशजी ने कहा- ‘क्या जमाना आ गया, देखिए न अपने पड़ौसी, वे परिमलजी, कोर्ट में रीडर थे, उनके बेटे आशुतोष की पत्नी को मरे अभी साल भर ही हुआ है, मैंने सुना है, उसने दूसरी शादी कर ली है। बेटा है, बहू है और एक साल की पोती भी। अट्ठावन साल की उम्र में क्या सूझी दुबारा शादी करने की। पत्नी नौकरी में थी, इसलिए पेंशन भी मिल रही थी। अब शादी करने से पेंशन बंद हो जाएगी। यह तो अपने पैरों पर…
ContinueAdded by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on November 9, 2014 at 9:30am — 7 Comments
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