२१२२ ११२२ २२
खुशनुमा ख्वाब सजा कर देखो,
रात में चाँद बुला कर देखो.
नींद आँखों में कहाँ है यारो,
सारे ग़म अपने भुला कर देखो.
नफरतें कर रहे हो क्यूँ मुझ से,
हाथ में हाथ मिला कर देखो.
तिश्नगी लव पे क्यूँ तेरे छाई,
जाम हाथों से पिला कर देखो.
आज गर्दिश में है तेरी ‘आभा’,
उस के ग़म दूर भगा कर देखो
....आभा
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by Abha saxena Doonwi on November 7, 2016 at 10:32pm — 4 Comments
दिए कुछ आस के ......
आँखों से झांक रहे
सपने विश्वास के
देहरी पर जल रहे
दिए कुछ आस के
नेह के भरोसे ही
कुछ रिश्ते जोड़े हैं
तुमने न जाने क्यूँ
अनुबंध सारे तोड़े हैं
मौन की पीडाएं ही
मुझको तो छलती हैं
पास तुम आते हो
दूरी तब ढलतीं हैं
सम्बन्ध ले आये हैं
रिश्ते कुछ पास के
देहरी पर जल रहे
दिए कुछ आस के |
नश्तर से चुभते हैं
धूप के सुनहरे…
ContinueAdded by Abha saxena Doonwi on November 1, 2016 at 4:00pm — 2 Comments
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