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बहाना ही बहाना चल रहा है
बहाने पर ज़माना चल रहा है
बदलना रंग है फ़ितरत जहाँ की
अटल सच पर दिवाना चल रहा है
नही गम में हँसा जाता है फिर भी
अबस इक मुस्कुराना चल रहा है
निव%
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 30, 1999 at 12:00pm — No Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 30, 1999 at 12:00pm — No Comments
Added by kanta roy on November 30, 1999 at 12:00pm — No Comments
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