विधान – 27 मात्रा, 16,11 पर यति, चरणान्त में 21 लगा अनिवार्य l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l
ह्रदय बसाये देवी सीता
वन वन भटकें राम
लोचन लोचन अश्रु बावरे
बहते हैं अविराम
सुन चन्दा तू नीलगगन से
देख रहा संसार
किस नगरी में किस कानन में
खोया जीवन सार
हे नदिया हे गगन,समीरा
ओ दिनकर ओ धूप
तृण तृण से यूँ हाथ जोड़कर
पूछ रहे…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 10, 2020 at 7:00pm — 8 Comments
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