आज मन मुरझा गया है
मर गई सब याचनाएं
धूमिल हुई योजनाएं
एक बड़ा ठहराव जैसे ज़िन्दगी को खा गया है
आज मन मुरझा गया है
खुरदरी सी हर सतह है
आंसुओ से भी विरह है
वेदना का तेज़ झोंका मेरा पथ बिसरा गया है
आज मन मुरझा गया है
किसलिये बाकी ये जीवन
किसलिये सांसों का बंधन
भावना ,विश्वास पर जब घुप अंधेरा छा गया है
आज मन मुरझा गया है
मौलिक और अप्रकाशित
Added by मनोज अहसास on December 15, 2018 at 9:20pm — 5 Comments
221 1221 1221 122
वेदना के पल कुँवारे ले चलो
कुछ तो जीने के सहारे ले चलो
दिल बहुत मायूस है परदेस में
बस हमें अब घर हमारे ले चलो
झील सी आंखों में हैं खामोशियाँ
थोड़े से सपने उधारे ले चलो
मैकदे में बंटती है अब भी शिफा
मैकदे में ज़ख्म सारे ले चलो
दुनिया मे महफूज कोई भी नहीं
साथ कितने भी सहारे ले चलो
मौलिक और अप्रकाशित
Added by मनोज अहसास on December 6, 2018 at 8:38pm — 7 Comments
थोडा सा मुस्काने से गम हल्का भी हो सकता है
हर पल की तड़पन से दिल को खतरा भी हो सकता है
अक्सर धोखा हो जाता है देर से प्यासी आंखों को
तुम जिसको दरिया कहते हो सहरा भी हो सकता है
मैं तो अपने दिल से ही हर बार शिकायत करता हूं
वो भी मुझको भूल गया हो ऐसा भी हो सकता है
अब तो मैं यह सोच कर उसकी राहों से हट जाता हूं
इन आंखों से उसका दामन मैला भी हो सकता है
लोग तो अपने मन से बस इल्जाम लगाते रहते हैं
जो दरिया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 11:30pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
माबूद कह दिया कभी मनहूस कह दिया
उसकी निगाहों ने सदा तस्लीम ही कहा
मुझको ये कैसा दिल दिया तूने मेरे खुदा
जिसको खुशी और गम का सलीका नहीं पता
ओझल नजर से हो गई तस्वीर आपकी
बस इतना होने के लिए क्या-क्या नहीं हुआ
जीवन के सारे हादसे आंखो में आ गए
मुरझा के एक फूल जो मिट्टी में जा गिरा
आया है अब की बार इक दूजे ही रंग में
तन्हाइयों से दर्द का रिश्ता नया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 10:53pm — 4 Comments
एक ताज़ा ग़ज़ल
वो खुद ही मजबूर बहुत हैं उनको हाल बताना क्या
जिनके दिल में प्यार नहीं है उन पर प्यार लुटाना क्या
हम तो तेरे नाम के जोगी अपना यार ठिकाना क्या
बिरहा में जलना है हमको महफिल क्या वीराना क्या
टूट गया है उस से नाता जो दुनिया का मालिक है
अब सारी दुनिया को अपने दिल के जख्म दिखाना क्या
सारे जीवन के पछतावे सांसो को झुलसाते हैं
अपनी किस्मत में लिक्खा है तिल तिल कर मिट जाना क्या
जीवन के…
ContinueAdded by मनोज अहसास on December 2, 2018 at 11:30pm — 8 Comments
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