समय का पहिया - लघुकथा -
सुशीला ने घर परिवार और समाज के विरोध के बावजूद एक राजपूत लड़के को अपना हमसफ़र बनाने का निर्णय किया। समूचा वैश्य समाज हतप्रभ था उसके इस फ़ैसले पर। लड़का राजपूत वह भी फ़ौज में अफ़सर। सारी बिरादरी लड़की के भाग्य को कोस रही थी। माँ ने तो रो रो कर घर आँसुओं से भर दिया था। उनकी एक ही चिंता थी कि एक बनिये की बेटी राजपूत परिवार में कैसे निभा…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on December 11, 2021 at 12:30pm — 6 Comments
रहीम काका - लघुकथा -
"गोविन्द, यार कहाँ है तू? बस चलने वाली है।हम बार बार बस वालों को निवेदन कर रुकवा रहे हैं। अब उन्होंने केवल दस मिनट का समय दिया है।”
"मैं पांच मिनट में पहुंच रहा हूँ।"…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on December 4, 2021 at 9:27am — 8 Comments
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