नज़्म नया साल
इन दिनों पिछले साल आया था
पेड़ की टहनी पर नया पत्ता
वक्त की मार से हुआ बूढ़ा
आज आखिर वह शाख से टूटा ।
जन्मदिन हर महीने आता था
और वो और खिलखिलाता था
वो मुझे देख मुस्कुराता था
मैं उसे देख मुस्कुराता था ।
जिन दिनों वो जवान होता था
पेड़ पौधों की शान होता था
उस तरफ सबका ध्यान होता था
और वो आंगन की शान होता था ।
उसके चेहरे में ताब होता था
मुस्कुराना गुलाब होता…
Added by सूबे सिंह सुजान on December 31, 2018 at 2:30pm — 5 Comments
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