आँखों देखी 7 – बर्फ़ की गहरी खाई में
दक्षिण गंगोत्री स्टेशन के अंदर रहते हुए एक डरावना ख़्याल हम सबको अक़्सर परेशान करता था. हम सभी जानते थे कि पूरा स्टेशन लकड़ी (प्लाईवुड) से बना है और इनसुलेशन के लिये दीवारों के दो पर्तों के बीच पी.यू.फोम भरा हुआ है जो ज्वलनशील पदार्थ होता है. यदि किसी कारणवश स्टेशन के अंदर आग लगी तो चिमनीनुमा एकमात्र प्रवेश/निकास मार्ग से होकर बाहर निकलना शायद असम्भव हो जाए. यदि बाहर निकल भी…
Added by sharadindu mukerji on December 25, 2013 at 7:00pm — 21 Comments
वह अलौकिक हेडलाईट – आँखों देखी 6
शीतकालीन अंटार्कटिका का अनंत रहस्य हर रोज़ अपने विचित्र रंग-रूप में हमारे सामने उन्मोचित हो रहा था. बर्फ़ के तूफ़ान चल रहे थे जो एक बार शुरु होने पर लगातार घन्टों चला करते. कभी-कभी तो छह सात दिन तक हम पूरी तरह स्टेशन के अंदर बंदी हो जाते थे. 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से हवा चलती जो झटके से, जिसे तकनीकी भाषा में Gusting कहते हैं, प्राय: 140 कि.मी.प्र.घ. हो जाती थी. तूफ़ान के आने का…
ContinueAdded by sharadindu mukerji on December 9, 2013 at 12:14am — 20 Comments
मैं तारों से बातें करता हूँ
जब गहन तिमिर के अवगुंठन में
धरती यह मुँह छिपाती है
मैं तारों से बातें करता हूँ
झिल्ली जब गुनगुनाती है.
(2)
फुटपाथों पर भूखे नंगे
कैसे निश्चिंत हैं सोये हुए
उर उदर की ज्वाला में
जाने क्या सपने बोये हुए.
(3)
दो बूंद दूध का प्यासा शिशु
माँ की आंचल में रोता है
रोते रोते बेहाल अबोध
फिर जाने कैसे सो जाता है!
(4)
क्या उसके भी सपनों में
कोई, सपने लेकर आता…
Added by sharadindu mukerji on December 2, 2013 at 5:00pm — 20 Comments
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