"तो बीबी जी कोनू जगह पक्की हुई सूट की?"
"जी, सरपंच जी।
वो जो बड़ के पेड़ के पास नदी है न, बस वहीँ नीतू के डूबने का सीन शूट करेंगे।"
"बीबी जी, बौराय गई हो का? हम तोहरा के पहले ही बतावत रहे अऊर एक बार फिर बताय देब, जब-जब उ नदी का पानी लाल होई जाई उहा मौजूद हर आदमी-औरत की मौत हुई जाई। सराप है उ नदी पे।"
"आप आज भी इन सब बातोँ पर यकीन करते हैँ?"
"तुम सहरी लोगन का यही तो प्राब्लम है कोनू की कछु नाही सुनत।"
अगले दिन सीन शूट होने लगा। अचानक नदी का पानी लाल हो गया।…
Added by pooja yadav on December 27, 2014 at 10:00pm — 6 Comments
Added by pooja yadav on December 18, 2014 at 10:58am — 12 Comments
यूँ तो 17 बरस की उमर मेँ भी वो बड़ी भोली थी। उसकी हर बात मेँ अभी भी बचपना-सा था।
उसकी बातेँ कभी मुझे माता की गोद के समान आनन्दित कर देती तो कभी उसकी ज़िद खीझ उत्पन्न कर अपना गुस्सा उस पर उतार देने को विवश। अक्सर ही मैँ उसे कहता- "न जाने तुम कब बड़ी होओगी ?"
और वो मुस्कुरा कर कहती- "मै नही सुधरने वाली।"
आज पूरे दो साल बाद मैँ उससे मिलने वाला हूँ। जाने वो कैसी दिखती होगी? मुझे देखते ही मुझे मारने दौड़ पड़ेगी। खूब शिकायतेँ करेगी और भी न जाने क्या-क्या पूर्वानुमान लिए मैँ उससे…
Added by pooja yadav on December 6, 2014 at 7:30pm — 6 Comments
Added by pooja yadav on December 2, 2014 at 12:02pm — 10 Comments
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