For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

JAWAHAR LAL SINGH's Blog (52)

काम काजी महिलाएं और पूजा का कार्यक्रम !

अभी हाल में मुझे एक उच्च मध्यम वर्ग के यहाँ पूजा (सत्य नारायण भगवान की पूजा) में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ! बड़े अच्छे ढंग से तैयारियां की गयी थी. सफाई सुथराई का भी पूरा पूरा ख्याल रखा गया था. उम्मीद यह थी कि पूजा में बैठने वाले यजमान और उनकी श्रीमती बिना कुछ खाए पूजा में बैठेगें ... पर यह क्या ? सुनने में आया कि सत्यनारायण भगवान की कथा में यह बाध्यता नहीं है. फिर क्या, सभी लोगों ने जमकर इडली और बड़े खाए पंडित जी भी सहभागी बने. उसके बाद पूजा के क्रिया-कलाप प्रारंभ हुए. पंडित जी को कहा गया…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on April 1, 2013 at 6:04am — 22 Comments

दो भाई! -भाग 5 (अंतिम)

भाग -5

गतांक से आगे)

भुवन की लड़की पारो (पार्वती) शादी के लायक हो चली थी. एक अच्छे घर में अच्छा लड़का देख उसकी शादी भी कर दी गयी. शादी में भुवन और गौरी ने दिल खोलकर खर्चा किया, जिसकी चर्चा आज भी होती है. बराती वालों को गाँव के हिशाब से जो आव-भगत की गयी, वैसा गाँव में, जल्द लोग नहीं करते हैं.

******

चंदर का बेटा प्रदीप शहर में रहकर इन्जिनियरिंग की पढाई कर रहा था.. दिन आराम से गुजर रहे थे. पर विधि की विडंबना कहें या मनुष्य का इर्ष्या भाव, जो किसी को सुखी देखकर खुश नहीं होता…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 30, 2013 at 8:53pm — 2 Comments

दो भाई ! - भाग -४

(भाग -३ से आगे की कहानी )

जिस इलाके की यह कहानी है, वह पटना के पास का ही इलाका है, जहाँ की भूमि काफी उपजाऊ है. लगभग सभी फसलें इन इलाकों में होती है! धान, गेहूँ, के अलावा दलहन और तिलहन की भी पैदावार खूब होती है. दलहन में प्रमुख है मसूर, बड़े दाने वाले मसूर की पैदावार इस इलाके में खूब होती है. मसूर के खेत बरसात में पानी से भड़े रहते हैं. जैसे बरसात ख़तम होती है, उधर धान काटने लायक होने लगता है और इधर पानी सूखने के बाद खाली खेतों में मसूर की बुवाई कर दी जाती है. मसूर के खेत, केवाला…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 27, 2013 at 4:55am — 6 Comments

दो भाई! – भाग-३

भाग 2 से आगे ..

खरीफ की फसल को तैयार कर अनाज को सहेजते और ठिकाने लगाते लगाते रब्बी की फसल भी तैयार होने लगती है. मसूर, चना, खेसारी, और मटर आदि के साथ सरसों, राई, तीसी आदि भी पकने लगते हैं, जिन्हें खेतों से काट कर खलिहान में लाया जाता है. इन सबके दानो/फलों को इनके डंटलों से अलग करने से पहले इन सबको पहले ठीक से सजाकर रखा जाता है, ताकि खलिहान के जगह का समुचित उपयोग हो. आम बोल-चाल की…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 10, 2013 at 7:30am — 4 Comments

दो भाई! – भाग -२

मौलिक व अप्रकाशित 

भाग 1 से आगे -

इसी तरह दिन गुजरते गए और फसल पकने का समय हो आया. इस साल अच्छी फसल हुई थी. महाजन को उसका हिस्सा देने के बाद भी भुवन के घर में काफी अनाज बच गए थे. खाने भर अनाज घर में रखकर बाकी अनाज उसने ब्यापारी को बिक्री कर दिए. जब पैसे हाथ में आते हैं तो आवश्यकता भी महसूस होती है. अभीतक वे दोनों भाई ठंढे के दिन में भी चादर और गुदरी(लेवा - पुराने कपड़ो…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 8, 2013 at 4:00am — 6 Comments

दो भाई ! - भाग -१

मौलिक व अप्रकाशित 

दो भाई - राम लक्ष्मण!

दो भाई - कृष्ण बलराम!

दो भाई - पांडु और धृतराष्ट्र !

दो भाई - दुर्योधन दुशासन!

दो भाई - रावण और विभीषण!

दो भाई - भारत और पकिस्तान!

दो भाई - हिन्दी चीनी भाई भाई !

ऊपर के सभी उदाहरण जग जाहिर है ..पर

दो भाई - भुवन और चंदर ....

मैं इन्ही दोनों के बारे में लिखने वाला हूँ.

ये दोनों भाई है- मिहनती और इमानदार !

पांच…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 6, 2013 at 7:00am — 5 Comments

सेवामुक्त सरकार बाबू...!

सरकार बाबू को सेवामुक्त हुए लगभग ६ साल हो गए हैं. उनका लड़का राज भी कंपनी में ही कार्यरत है. इसलिए कंपनी का क्वार्टर छोड़ना नहीं पड़ा. यही क्वार्टर राज के नाम से कर दिया गया. पहले पुत्र और पुत्रवधू साथ ही रहते थे. एक पोता भी हुआ था. उसके 'अन्नप्रासन संस्कार' (मुंह जूठी) में काफी लोग आए थे. अच्छा जश्न हुआ था. मैं भी आमंत्रित था..... बंगाली परिवार मेहमानों की अच्छी आवभगत करते हैं. खिलाते समय बड़े प्यार से खिलाते हैं. सिंह बाबू, दु टा रसोगुल्ला औरो नीन! मिष्टी दोही खान!(दो रसगुल्ला और लीजिये,…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on December 11, 2012 at 4:30am — 17 Comments

उफ़! .. बड़ी गर्मी है!

उफ़!.... बड़ी गर्मी है!

घर के दरवाजे-खिड़कियाँ बंद हैं

एयर कंडीसन ऑन है

बहुत अच्छा लग रहा है!

तभी,

बिजली चली गयी!

थोड़ी देर बाद ही

तन से, निकलने लगे पसीने!

ओह कैसी चिपचिपाहट,

कपड़े हो गए गीले!

खिड़की खोलकर झाँका

एक गर्म हवा का झोंका

मानो चेहरे की कोमलता को

निचोड़ गया

तन को झकझोड़ गया!

उफ़!... बड़ी गर्मी है!

मैं पांचवी मंजिल से झांक रहा था

देखा,

कुछ मजदूर इस गर्मी में भी

मन लगाकर,

हंसमुख चेहरे दिखाकर

काम कर रहे…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2012 at 6:27am — 19 Comments

महंगाई और मंत्री जी!

चीनी के दाम बढने पर

पत्रकारों ने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री से सवाल पूछा.-

मंत्री जी ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया.

चीनी कम खाइए, डायबिटीज को दूर भगाइए.

मैं तो चाय भी बिना चीनी के पीता हूँ,

कहिये तो आपलोगों के लिए भी मँगा दूँ.

पत्रकारों का अगला सवाल था -

सर, दाल बहुत महंगा है,

मंत्री जी फिर बोले,

आपने सुना नहीं, अमरीका ने क्या कहा है?

वे कहते हैं, भारतीय दाल ज्यादा खाते हैं,

इसीलिये गाल भी ज्यादा बजाते हैं.

अब मेरी सलाह मानिए,

गरम पानी में…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on April 8, 2012 at 6:31am — 8 Comments

ये झुग्गियां ......!

ये झुग्गियां

बांस और फूस से बनी,

चटाई से घिरी

गंदे स्थान पर,

शहर के कोढ़ की तरह

दिखती हैं.

ये झुग्गियां

बड़ी अट्टालिकाओं के

आजू-बाजू,

जैसे ये

उनका मुंह चिढ़ा रही हों!

इन झुग्गियों में रहने वाले

मिहनत-कश इंसान होते हैं

महलों को बनाने वाले

कारीगर होते हैं

सपनो के बाजीगर होते हैं

ये सजाते है

सेहरे, डोलियाँ,सेज

ये सजाते हैं

मंच, आयोजन स्थल, प्रवचनशाला

ये बिखेरते है खुशबू, फूलों की

करते है इत्र से…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on April 6, 2012 at 8:37am — 16 Comments

दास्तान शर्मा परिवार की!

शर्मा जी, आजकल बड़े उद्विग्न से दिखने लगे हैं! ....वैसे वे हमेशा शांतचित्त रहते, किसी से भी मुस्कुराकर मिलते और जो भी उनके पास आता, उनसे जो मदद हो सकता था, अवश्य करते.

पर, आज कल दफ्तर में काम का अत्यधिक बोझ, बॉस का दबाव और बीच बीच में झिड़की, सहकर्मी की ब्यंग्यबान, बाजार की महंगाई, सीमित वेतन में बच्चों की पढ़ाई लिखाई, उनकी आकाँक्षाओं की पूर्ति, पत्नी के अरमान.... सबकुछ सीमित वेतन में कैसे पूरा करें....... वेतन समझौता भी एक साल से बकाया है. अभी तक कोई सुगबुगाहट नहीं सुनाई पड़ रही है. हर…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2012 at 7:34am — 13 Comments

आर्तनाद!

मेरे ही पुत्रों ने,

मुझे,

लूटा है बार-बार!

एक बार नहीं,

हजार बार!

अपनी अंत: पीड़ा से

मैं रोई हूँ, जार जार!

हे, मेरे ईश्वर,

हे मेरे परमात्मा,

दे इन्हें सदबुद्धि,

दे इन्हें आत्मा,

न लड़ें, ये खुद से,

कभी धर्म या भाषा के नाम पर,

कभी क्षेत्रवाद,

जन अभिलाषा के नाम पर.

ये सब हैं तो मैं हूँ,

समृद्ध, शस्य-श्यामला.

रत्नगर्भा, मही मैं,

सरित संग चंचला.

मत उगलो हे पुत्रों,

अनल के अंगारे,

जल जायेंगे,

मनुज,संत…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 15, 2012 at 6:37am — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का यह लिहाज इसलिए पसंद नहीं आया कि यह रचना आपकी प्रिया विधा…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कुण्डलिया छंद की विषयवस्तु रोचक ही नहीं, व्यापक भी है. यह आयुबोध अक्सर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service