2122 2122 2122 212
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है जिधर मेरी नज़र उसकी नज़र जाने तो दो
कायनात ए इश्क़ को हर सू बिखर जाने तो दो
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क्या हमें हासिल हुआ इस ज़िन्दगी से दोस्तो
सब बताएंगे मगर जाँ से गुज़र जाने तो दो
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हम अदालत में करेंगे पैरवी हर झूठ की
शर्म आँखों की ज़रा सी और मर जाने तो दो
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तर्के निस्बत का भी मातम तुम मना लेना मगर
ताज दिल का टूट कर पहले बिखर जाने तो दो
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आँख से बहता समंदर बाँध कर रखना ज़रा
कतरा कतरा…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on September 30, 2020 at 10:30pm — 4 Comments
2122 2122 212
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जो तुम्हारा है हमारा क्यों नहीं
ये किसी ने भी बताया क्यों नहीं
शह्र से मज़दूर आए गांव क्यों
वक़्त पर उनको सँम्हाला क्यों नहीं
लाख तारे आसमाँ पर थे मगर
इक भी मेरी छत पे आया क्यों नहीं
ख़्वाहिशों की भीड़ से ही पूछ लो
मुझको इक पल का सहारा क्यों नहीं
ज़िन्दगी भी दे रही ता'ना हमें
लफ़्ज़ खु़शियों का लिखाया क्यों नहीं
हारते हैं ग़म से "निर्मल" रोज़ ही
जीतना हमको सिखाया क्यों नहीं…
Added by Rachna Bhatia on June 6, 2020 at 9:00pm — 3 Comments
Added by Rachna Bhatia on April 2, 2020 at 1:31pm — 4 Comments
Added by Rachna Bhatia on June 10, 2019 at 7:55pm — 5 Comments
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