हिंदी क्या है?
बस एक लिपि?
नहीं
बस एक भाषा?
नहीं
बस एक अनुभव है?
नहीं
हिंदी आत्मा है,
सम्मान है, स्वाभिमान है
भारत की पहचान है
हिंदी क्या है?
बस एक बोली?
नहीं
बस एक संवाद का माध्यम?
नहीं
बस एक भाव?
नहीं
हिंदी जान है, गुमान है,
आर्याव्रत का अभिमान है
हिंदी क्या है?
एक रास्ता है
जिसपर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 31, 2022 at 10:24am — No Comments
कुछ क्षण हीं शेष है अब तो, मिल जाओ तुम तो अच्छा है
कैसे मैं समझाऊँ तुमको, जीवन का धागा कच्चा है
साँस में आस जगी है अब भी, तुम मुझसे मिलने आओगे
आँखें बंद होने से पहले, आँखों की प्यास बुझाओगे
तुम बिन मेरा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 29, 2022 at 3:11pm — No Comments
प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया
शीर्ष प्रणाम उन गुरुजनों को, ज्ञान का जिन्होंने आशीष दिया
फिर प्रणाम उन पूर्वजों को, मैं जिनका वंशज बनकर जन्मा
शेष प्रणाम उन मित्रजनों को, जिनसे है मुझको प्रेम घना
मैं न भुला उन बहनो को, राखी जिसने बांधी थी
जिसकी सदा रक्षा करने की, मैंने कसमें खाई थी
छोटे-बड़े सब भाई मे,रे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 22, 2022 at 12:30pm — No Comments
एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं
दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं
मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में
मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे
शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है
लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है
सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा
सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 15, 2022 at 11:43am — No Comments
गुमसुम सा रहता हूँ, चुप-चुप सा रहता हूँ
लोग मेरी चुप्पी को, मेरा गुरूर समझते है
भीड़ में भी मैं, तन्हा सा रहता हूँ
मेरे अकेलेपन को देख, मुझे मगरूर समझते हैं
अपने-पराये में, मैं घुल नहीं सकता
मैं दाग हूँ ज़िद्दी बस, धूल नहीं सकता
मैं शांत जल सा हूँ, बड़े राज़ गहरे है
बहुरूपिये यहाँ हैं सब, बडे …
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 9, 2022 at 9:47am — No Comments
ना राधा सी उदासी हूँ मैं, ना मीरा सी प्यासी हूँ
मैं रुक्मणी हूँ अपने श्याम की, मैं हीं उसकी अधिकारी हूँ
ना राधा सी रास रचाऊँ ना, मीरा सा विष पी पाऊँ
मैं अपने गिरधर को निशदिन, बस अपने आलिंगन मे पाऊँ
क्यूँ जानु मैं दर्द विरह का, क्यों काँटों से आंचल उलझाऊँ
मैं तो बस अपने मधुसूदन के, मधूर प्रेम में गोते खाऊँ
क्यूँ ना उसको वश में कर लूँ, स्नेह सदा अधरों पर धर लूँ
अपने प्रेम के करागृह में, मैं अपने…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 1, 2022 at 1:50pm — No Comments
एक दिन मुझ सा जी लो
हाँ बस एक दिन मुझ सा जी लो
जाग जाओ पाँच बजे तुम और बर्तन सारे धो लो
पानी भरने के खातिर फिर सारे नल तुम खोलो
कपड़,पोछा,झाड़ू करकट बस एक बार तो कर लो
बस एक दिन मुझ सा जी लो
नाश्ते खाने की लिस्ट बनाओ
राशन, बाज़ार करके…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 23, 2022 at 11:42am — No Comments
पा लेता हूँ जहां को तेरी चौखट पर लेकिन
तेरी एक बूंद से मेरी प्यास नहीं बुझती
भुला सकता हूँ मैं अपना वजूद भी तेरी खातिर पर
तुझसे एक पल की दूरी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती
भूल जाता हूँ मैं ग़म अपने होंठो से लगाकर तुझे
जब तक छु ना लूँ तुझे मेरी रफ्तार नहीं बढ़ती
बड़ा सुकून मिलता है नसों मे तेरे घुलने से
किसी भी साज़ मे ऐसी कोई बात…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 15, 2022 at 10:20am — No Comments
जो मैं होता गीत कोई तो तुम भी मुझको गा लेते
जो मैं होता खामोश परिंदा तो अपना मुझे बना लेते
जो मैं होता फूल कोई तो गजरा मुझे बना लेते
जो मैं होता इत्र कोई तो तन पर मुझे लगा लेते
जो मैं होता काजल तो तुम टीका मेरा कर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 11, 2022 at 1:01pm — No Comments
मैं जताना जानता तो बन बैरागी यूं ना फिरता
मेरे ही ख़िलाफ़ ना होता आज ये उसूल मेरा
मैं ठहरना जानता तो बन के यूं भंवरा ना फिरता
मेरे पग को बांध लेता फिर कोई अरमान मेरा
मैं बताना जानता तो दाग़ लेकर यूं ना…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 6, 2022 at 11:40am — No Comments
दीवारें हैं छत हैं
संगमरमर का फर्श भी
फिर भी ये मकान अपना घर नहीं लगता
चुकाता हूँ
मैं इसका दाम, हर तारीख पहली…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 1, 2022 at 11:30am — No Comments
ले चल अपने संग हमराही, उन भूली बिसरी राहों में
जहां बिताते थे कुछ लम्हे हम एक दूजे की बाहों में
चल चले उन गलियों में फिर थाम कर एक दूजे का हाथ
क्या पता मिल जाए हमको फिर वो जुगनू की बारात
जहां चाँद की मद्धिम बुँदे वादी से छन कर आती…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 27, 2022 at 12:25pm — 2 Comments
कब चाहा मैंने के तुम मुझसे नैना चार करो
कब चाहा मैंने के तुम मुझसे मुझसा प्यार करो
कब चाहा मैंने के तुम मेरे जैसा इज़हार करो
कब चाहा मैंने के तुम अपने प्रेम का इकरार करो
कब चाहा मैंने के तुम मुझसे मिलने को तड़पो
कब…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 24, 2022 at 10:59am — No Comments
मैं बंजारा, मैं आवारा, फिरता दर दर पर ना बेचारा
ना मन पर मेरा ज़ोर कोई, मैं अपने मन से हूँ हारा
ठिठक नहीं कोई ठौर नहीं, आगे बढ़ने की होड नहीं
कोई मेरा रास्ता ताके, जीवन में ऐसी कोई और नहीं
ना रिश्ता है ना नाता है, बस अपना खुद से वादा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 21, 2022 at 11:20am — No Comments
जागो मेरे वीर सपूतो, मैंने है आह्वान किया
आज किसी कपटी नज़रों ने मेरा है अपमान किया
किसी पापी के नापाक कदम, मेरी छाती पर ना पड़ने पाए
आज सभी तुम प्रण ये कर लो, जो आया, कुछ, ना लौट के जाने पाये
दिखला दो तुम दुश्मन को, तुम भारत के वीर सिपाही…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 17, 2022 at 11:15am — No Comments
क्यों परेशान होता है तू , जिसे जाना है वो जाएगा
हाथ जोड़ कर पैर पकड कर, तू उसको रोक ना पाएगा
वो जाता है तो जाने दे, पर याद न उसकी जाने दे
तू उसको ये अवसर ना दे, वो बाद मे तुझे बहाने दे
जिसको आँसू की क़दर नहीं, ना होने का तेरे असर नहीं
उसे रोक के क्या तू पाएगा, तेरी खातिर जो बेसबर नहीं
तू रोके तो रुक जाएगा, घड़ियाली आँसू बहाएगा
अपनी हर नाकामी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 14, 2022 at 12:30pm — 1 Comment
मैं बिकती हूँ बाज़ारों में, तन ढंकने को तन देती हूँ
मैं बिकती हूँ बाज़ारों में, अन्न पाने को तन देती हूँ
तन देना है मर्जी मेरी, मैं अपने दम पर जीती हूँ
जिल्लत की पानी मंजूर नहीं, मेहनत का विष मैं पिती हूँ
हाथ पसारा जब मैंने, हवस की नज़रों ने भेद दिया
अपनों के हीं घेरे में, तन मन मेरा छेद…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 11, 2022 at 10:24am — No Comments
तू उगता सा सूरज, मैं ढलता सितारा
तेरी एक झलक से मैं छुप जाऊँ सारा
तू गहरा सा सागर, मैं छिछलाता पानी
तू सर्वगुण सम्पन्न मैं निर्गुण अभिमानी
तू दीपक के जैसा मैं हूँ एक अंधेरा
तू निराकार रचयिता, मैं…
ContinueAdded by AMAN SINHA on June 9, 2022 at 11:30am — No Comments
अक्सर मैंने देखा उसको खुद से हीं बातें करते
कभी-कभी बिना कारण हीं खुद में हंसते खुद में रोते
कई दफा तो काटी उसने रातें यूं ही जाग जाग के
कभी किसी पर अटक गई जो पलकें उसकी बिना झपके
बैठे-बैठे खो जाती है वो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 31, 2022 at 9:30am — 2 Comments
क्या रंग है आँसू का कैसे कोई बतलाएगा?
सुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा?
कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल जाए तो
कभी कोई जो दूर हो गया, कोई पास कभी आ जाए तो
किस भाव में कितना बहता, कोई ध्यान नहीं रखता
हर हाल में इसका एक ही रंग है, फर्क ना कोई कर सकता
कभी दर्द में बह जाता है, हंसी में भी ये दूर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 25, 2022 at 11:47am — 2 Comments
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