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Rajkumar sahu's Blog (122)

ऐसे ही बनेगा सशक्त समाज

भारत जैसे विशाल देश का समाज भी उतना ही बड़ा है। ऐसे में हर किसी का दायित्व बनता है कि वे स्वच्छ समाज के निर्माण में सकारात्मक योगदान दें। देखा जाए तो आधुनिक समाज में कई तरह की अपसंस्कृति हावी हो गई है, इन्हीं में से एक है, नशाखोरी। यह बात आए दिन कई रिपोर्टों से सामने आती रहती है कि नशाखोरी से व्यक्ति और समाज को किस तरह नुकसान है। बावजूद, लोग अपसंस्कृति के दिखावे में ऐसे कृत्य कर जाते हैं, जिससे समाज शर्मसार तो होता ही है, खुद उस व्यक्ति का भी भविष्य दांव पर लग जाता है। नशाखोरी की प्रवृत्ति के…

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Added by rajkumar sahu on December 14, 2010 at 11:25am — No Comments

एक मिसाल परोपकार की

भारत के लोगों में परोपकार की धारणा बरसों से कायम है। भले ही परोपकार के तरीकों में समय-समय पद बदलाव जरूर आए हों, लेकिन अंततः यही कहा जा सकता है कि लोगों के दिलों में अब भी परोपकार की भावना समाई हुई है। इस बात को एक बार फिर सिद्ध कर दिखाया है, बेंगलूर के आईटी क्षेत्र के दिग्गज अजीम प्रेमजी ने। उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के अपनी जानी-मानी कंपनी विप्रो की दौलत में से करीब 88 सौ करोड़ रूपये एक टस्ट को दिया है, जो काबिले तारीफ है। ऐसा कम देखने को मिलता है, जब कोई बड़ा उद्योगपति अपनी कमाई का एक बड़ा… Continue

Added by rajkumar sahu on December 7, 2010 at 12:15pm — 1 Comment

तरक्की और जनमत की ताकत

लोकतंत्र में वोट की ताकत महत्वपूर्ण मानी जाती है और जब इस ताकत का सही दिशा में इस्तेमाल होता है तो इससे एक ऐसा जनमत तैयार होता है, जिससे नए राजनीतिक हालात अक्सर देखने को मिलते हैं। हाल ही में बिहार के 15 वीं विधानसभा के चुनाव में जो नतीजे आए हैं, वह कुछ ऐसा ही कहते हैं। देश में सबसे पिछड़े माने जाने वाले राज्य बिहार में तरक्की का मुद्दा पूरी तरह हावी रहा और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का जादू ऐसा चला, जिसके आगे राजनीतिक गलियारे के बड़े से बड़े धुरंधर टिक नहीं सके और वे चारों खाने मात खा गए।… Continue

Added by rajkumar sahu on December 4, 2010 at 4:21pm — No Comments

आवाम, पुलिस और सरकार

छत्तीसगढ़ ने जिस तरह विकास के दस बरस का सफर तय कर देश में एक अग्रणी राज्य के रूप में खुद को स्थापित किया है और सरकार, विकास को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है, मगर यह भी चिंता का विषय है कि छत्तीसगढ़िया, सबसे बढ़िया कहे जाने वाले इस प्रदेश में अपराध की गतिविधियों मंे लगातार इजाफा होता जा रहा है। राजधानी रायपुर से लेकर राज्य के बड़े शहरों तथा गांवों में निरंतर जिस तरह से बच्चों समेत लोगों के अपहरण हो रहे हैं तथा सैकड़ों लोग एकाएक लापता हो रहे हैं और पुलिस उनकी खोजबीन करने में नाकामयाब हो रही है, ऐसे में… Continue

Added by rajkumar sahu on November 29, 2010 at 2:14pm — No Comments

विदेशी शिक्षा और भारतीय छात्र

भारत के विकास में शिक्षा का अहम योगदान रहा है और आगे भी रहेगा। इस लिहाज से देखें तो देश की सुदृढ़ शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहन विचार किए जाने की जरूरत है, मगर अफसोस, भारत में अब तक मजबूत शिक्षा नीति नहीं बनाई जा सकी है। नतीजतन, हालात यह बन रहे हैं कि भारतीय छात्रों को विदेशी जमीन तलाशनी पड़ रही है। स्कूली शिक्षा में भारत की मजबूत स्थिति और गांव-गांव तक शिक्षा का अलख जगाने का दावा जरूर सरकार कर सकती है, लेकिन उच्च शिक्षा में भी उतनी ही बदहाली कायम है। उच्च शिक्षा नीति और व्यवस्था में किसी तरह का… Continue

Added by rajkumar sahu on November 25, 2010 at 7:33pm — No Comments

धान के कटोरे में हिन्दुस्तान

वर्तमान दौर में युवा कार्पोरेट जगत में भविष्य तलाश रहे है और कृषि प्रधान देश में खेती किसानी को दोयम दर्जे का कार्य समझा जा रहा है, वहीं एक युवा किसान ऐसा भी है, जिसने तमाम डिग्रियां हासिल करने के बाद भी कृषि कार्य को अपना जाॅब बनाकर पिछले 8 वर्षो से नई पद्धति से खेती करते हुए नई मिसाल पेश की है। इस युवा किसान ने इस वर्ष धान की फसल में हिन्दुस्तान व छत्तीसगढ़ का नक्शा उकेरा है, जिसे देखने के बाद लोग उनकी तारीफों के पुलिंदे बांधते नहीं थक रहे हैं।

कृषि क्षेत्र में यह अनोखा कारनामा जिला… Continue

Added by rajkumar sahu on November 20, 2010 at 10:29am — No Comments

क्यों चुप हैं प्रधानमंत्री ?

भारत में वैसे तो भ्रष्टाचार की जड़ें एक अरसे से गहरी हैं, मगर बीते एक दशक के दौरान इस बीमारी ने हर तबके को अपने चपेट में ले लिया है। भ्रष्टाचार को लेकर यदि सुप्रीम कोर्ट को यह टिप्पणी करना पड़े कि क्यों ना, किसी काम के एवज में रिश्वत की राशि तय कर दी जाए, जिससे यह कार्य अंध कोठरी में न चले। सुप्रीम कोर्ट का सीधा आशय यही था कि देश में भ्रष्टाचार पूरे तंत्र में हावी हो गया है, यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश में मुश्किल हालात उत्पन्न हो जाएंगे।

इन दिनों भ्रष्टाचार के मामले में तीन प्रकरण लोगों के… Continue

Added by rajkumar sahu on November 20, 2010 at 9:22am — No Comments

बलिराम ने बनाई लकड़ी की सायकल

महंगाई ने जहां एक ओर आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। वहीं आम आदमी को अपने बच्चों के लिए सामान जुटाने में पसीना छूट जाता है। ऐसी महंगाई से निपटने के लिए यह सायकल उन लोगों के लिए कारगर साबित हो सकती है, जो अपने बच्चों को बड़ी कंपनियों की महंगी सायकलें खरीद कर नहीं दे सकते।

जी हां, यह है लकड़ी की सायकल, जिसे पौना गांव के युवक बलिराम कष्यप ने बनाया है। बाजार में बिक रही सायकलों के दाम 3000 रूपए से कम नहीं हैं, लेकिन बलिराम ने जो सायकल बनाई है उसकी लागत मात्र 1000 रूपए है, मजबूती इतनी कि तीन लोग… Continue

Added by rajkumar sahu on November 18, 2010 at 2:51pm — 2 Comments

निषानेबाजी में महारत मनीष

निशानेबाजी में देश भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके अभिनव बिंद्रा के नक्शे कदम पर जिले के पुलिस विभाग में पदस्थ आरक्षक मनीष राजपूत भी है, जिसने हाल ही में माना में आयोजित स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक हासिल किया है। राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में इस जवान को अब तक 18 पदक मिल चुके हैं।

पुलिस लाइन जांजगीर में पदस्थ आरक्षक मनीष राजपूत की पहचान एक अच्छे निशानेबाज के रूप में है। इस जवान ने 29 अक्टूबर से 3 नवंबर तक माना रेंज में पुलिस अकादमी व जिंदल स्टील… Continue

Added by rajkumar sahu on November 18, 2010 at 2:26pm — 1 Comment

मालदार गरीब का मुखौटा

कई दिनों तक सोचने के बाद मेरे जेहन में ऐसा कोई विचार नहीं आ रहा था, जिसे मैं लिख सकता। पर अचानक ही सूझा कि देश में बढ़ती गरीबी पर लिखूं। सहसा ही ध्यान आया कि अब तो केवल मालदार गरीबों का ही बोलबाला है। ऐसे मालदार गरीबों से मेरा रोज ही पाला पड़ता है। जब मैं किसी गली से गुजरता हूं तो उनसे मेरा नमस्कार होता है, जिनके पास बंगला, कार समेत सभी एशोआराम के साजो-सामान हैं।

एक दिन मेरे पड़ोसी ने मुझे गरीब बनने की नसीहत दे डाली और वो सारे फण्डे बता डाले, जिससे मालदार होते हुए गरीबी का चोला ओढ़ा जा सके।… Continue

Added by rajkumar sahu on November 18, 2010 at 1:56pm — 2 Comments

कचरा बाई : हौसले का एक नाम

महज ढाई फीट कद होने के बावजूद चाम्पा की कचरा बाई का हौसला देख कोई भी एकबारगी सोचने पर विवश हो जायेगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि कचरा बाई, हौसले का एक नाम है। एम् ए राजनीति में शिक्षा लेने वाली कचरा बाई हर किसी से जुदा लगती है, क्योंकि उसका कद ढाई फीट है। कुदरत ने कचरा बाई को भले ही कद काठी कम दिया हो, लेकिन उसके हौसले की उड़ान के आगे यह कमजोरी नहीं बन सकी। उसने कंप्यूटर की भी शिक्षा लेकार यह साबित कर दिया है कि जहाँ चाह होती है। वहां राह खुद बन जाती है। लोगों के बीच कचरा बाई को जैसा सम्मान मिलना… Continue

Added by rajkumar sahu on November 16, 2010 at 12:10pm — 2 Comments

टीआरपी और पाखंड चेहरा

बात एक साल पुरानी है। सदी के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म पा दिसंबर 2009 में रिलीज हुई थी, जिसमें उन्होंने आॅरो के किरदार को निभाया है। इस फिल्म की दर्षकों में खासी चर्चा रही और पहली बार इस फिल्म के माध्यम से ऐसी अजीबो-गरीब बीमारी प्रोजेरिया, लोगों के सामने आया, जिसे जानकर हर कोई सोच में पड़ गया, क्योंकि डाॅक्टरों की मानें तो यह बीमारी, एक करोड़ में एक व्यक्ति को होती है। पा फिल्म में प्रोजेरिया बीमारी को दुनिया के सामने लाया गया है और इस फिल्म मे अभिनेता अभिताभ बच्चन ने 13 वर्षीय एक ऐसे… Continue

Added by rajkumar sahu on November 15, 2010 at 7:47pm — No Comments

भारत के बेरोजगारों का क्या होगा ?

भारत, दुनिया का एक विशाल देश है और आबादी के लिहाज से देखें तो पूरे संसार में चीन के बाद इसका दूसरा स्थान है। इस तरह भारत में आज की स्थिति में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, जिसे सत्ता पर काबिज होने के पहले हर पार्टी के नेता खत्म करने की दुहाई देते हैं, मगर हालात में किसी तरह का बदलाव नहीं होता। देश में केवल साल-दर-साल आबादी बढ़ती चली जा रही है और रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में देश के करोड़ों युवा, बेरोजगार हो गए हैं और इसका सीधा असर देश के विकास पर पड़ रहा है। यह भी माना जाता है कि पूरी… Continue

Added by rajkumar sahu on November 14, 2010 at 6:13pm — 2 Comments

सुदर्शन का बयान और कांग्रेस का संग्राम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अर्थात आरएसएस की अपनी एक ऐसी पृष्ठभूमि है, जिसके तहत देश ही नहीं, दुनिया में यह एक अनुशासित संगठन के रूप में जाना जाता है। आरएसएस से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संयमी माना जाता है और उन्हें संयमित शब्दावली के लिए जाना जाता है, लेकिन आरएसएस द्वारा पूरे देश में भगवा आतंकवाद के खिलाफ मोर्चाबंदी के दौरान मध्यप्रदेश के भोपाल में संघ के पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन ने जो कुछ यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के खिलाफ तीखी टिप्पणी की, उससे देश का राजनीतिक माहौल ही… Continue

Added by rajkumar sahu on November 13, 2010 at 1:06pm — 1 Comment

राजनीति की निराली कहानी

अभी हाल ही में मुझसे एक पुराने जान-पहचान का अरसे बाद मिला। बरसों पहले जब मैं उससे मिला करता था तो उसके पास खाने के लाले पड़े थे। वह कुछ एक आपराधिक कार्यों में भी लिप्त था। कई बार जेेेल की हवा भी खा चुका था। कल तक जो पूरे मोहल्ले को फूटी आंख नहीं सुहाता था, आज वही लोगों की आंख का तारा बना हुआ है। जब वह मुझे मिला तो मैंने उससे कुषलक्षेम पूछा। उसने बताया कि वह इन दिनों राजनीति में खूब कमाल दिखा रहा है। मैंने कहा कि ऐसा कर लिया, जो बिना किसी योग्यता के, नाम भी कमा लिया और पोटली भी भर ली, वह भी ऐसे,… Continue

Added by rajkumar sahu on November 7, 2010 at 2:49pm — No Comments

विकास पथ पर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़, देश का 26 वां राज्य है और यह प्रदेश 1 नवंबर सन् 2000 में अस्तित्व में आया। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद बहुमत के आधार पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता मिली और राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी बने। 2003 में जब छग में पहला विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा, सत्ता में आई तथा डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दोबारा विधानसभा चुनाव 2008 में हुए, इस दौरान भाजपा फिर सत्ता में काबिज हो गई। इस तरह डा. रमन सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बने।

अभी हाल ही में 1 नवंबर, 2010 को छत्तीसगढ़ ने 10 बरस… Continue

Added by rajkumar sahu on November 7, 2010 at 2:15pm — No Comments

पहुंचे हुए बड़े खिलाड़ी

आज का दौर बड़ा कठिन हो गया है। जब भी कोई भ्रष्टाचार करना हो या फिर कोई अपराध करना हो तो पहुंचे हुए होना बहुत जरूरी है। ऐसा काम कोई विशेष व्यक्ति ही कर सकता है, ऐसे महत्वपूर्ण काम करने की हम जैसे कायरों की हिम्मत कहां। बीते कुछ समय से पहुंच की महिमा बढ़ गई है, तभी तो जब भी किसी बड़े पदों पर किसी को काबिज होना होता है तो वहां उसकी योग्यता कम काम आती है, बल्कि पहुंच का पूरा जलवा होता है। पहुंच वाले का भला कोई बाल-बांका कैसे कर सकता है। हम तो अदने से और तुच्छ प्राणी हैं, जो पहुंच जैसी बात सोचकर खुश हो… Continue

Added by rajkumar sahu on November 6, 2010 at 3:08pm — No Comments

बाल्टी भर पसीने की अमर कहानी

बढ़ते तापमान और दिनों-दिन घटते जल स्तर से भले ही सरकार चिंतित न हो, मगर मुझ जैसे गरीब को जरूर चिंता में डाल दिया है। सरकार के बड़े-बड़े नुमाइंदें के लिए मिनरल वाटर है और कमरों में ठंडकता के लिए एयरकंडीषनर की सुविधा। ऐसे में उन जैसों के माथे पर पसीने की बूंद की क्या जरूरत है, इसके लिए गरीबों को कोटा जो मिला हुआ है। पसीने बहाने की जवाबदारी गरीबों के पास है, क्योंकि यही तो हैं, जिनके पास ऐसे संसाधन नहीं होते या फिर उन जैसे नुमाइंदों को फिक्र नहीं होती कि खुद की तरह तो नहीं, पर इतना जरूर सुविधा दे दे,… Continue

Added by rajkumar sahu on November 3, 2010 at 8:21pm — 1 Comment

सरकार के सरकारी पुलाव

सरकार के काम करने के अपने तौर-तरीके होते हैं और वह जैसा चाहती है, वैसा काम कर सकती है। भला आम जनता की इतनी हिम्मत कहां कि उन्हें रोक सके। सरकारी कामकाज में सरकार और उनके मंत्रियों की मनमानी तो जनता वैसे भी एक अरसे से बर्दाष्त करती आ रही है। जनता तो बेचारी बनकर बैठी रहती है और सरकार भी हर तरह से उनकी आंखों में धूल झोंकने से बाज नहीं आती। विकास के नाम पर सरकार के सरकारी पुलाव तो जनता पचा जाती है, मगर जब सुुरक्षा की बात आती है तो फिर जनता के पास रास्ते नहीं बचते। वैसे तो सरकार का दायित्व बनता है… Continue

Added by rajkumar sahu on November 2, 2010 at 11:37am — 1 Comment

दिखने वाले कलमकार के रूतबे

बदलते समय के साथ पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं और बाजार में जब से पत्र-पत्रिकाओं की बाढ़ आई है, तब से लिखने वाले कलमकारों की रूतबे कहां रह गए हैं, अब तो दिखने वाले कलमकारों का ही दबदबा रह गया है। सुबह होते ही काॅपी, पेन और डायरी लेकर निकलने वाले कलमकारों के क्या कहने, वैसे तो ऐसे लोग अपनी पाॅकिट में कलम रखना नहीं भूलते, लेकिन यह जरूर भूले नजर आते हैं कि आखिर वे लिखे कब थे। लोगों को अपनी कलम की धार दिखाने उनके लिए जुबान ही काफी है, जहां से बड़ी-बड़ी बातें निकलती हैं। ऐसे में… Continue

Added by rajkumar sahu on October 30, 2010 at 11:54am — 1 Comment

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