For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Hilal Badayuni's Blog – June 2011 Archive (3)

तेरी आँखों से लड़ गयीं आँखें !

तेरी आँखों से लड़ गयीं आँखें !

कितनी उलझन में पड़ गयीं आँखें !!



आँख से जब बिछड़ गयीं आँखें !

आंसुओ में जकड़ गयीं आँखें !!



तू जो आया बहार लौट आयी !

तू गया तो उजड़ गयीं आँखें !!



तेरे आने की इन्तेज़ारी में !

घर की चौखट पे जड़ गयीं आँखें !!



आज फिर ज़िक्र छिड गया उसका !

आज फिर से उमड़ गयीं आँखें !!



रौशनी… Continue

Added by Hilal Badayuni on June 15, 2011 at 10:30pm — 1 Comment

पीने की और जिद न करो तुम नशे में हो !

पीने की और जिद न करो तुम नशे में हो !

अब मैकदे से घर भी चलो तुम नशे में हो ! !



ये क्या की सिर्फ मुझसे कहो तुम नशे में हो !

तुम भी मुझे पिलाके कहो तुम नशे में हो !!



पीते हो दस्ते ग़ैर से क्यों बज्मे ग़ैर में !

छोड़ो उठो यहाँ से चलो तुम नशे में हो !!



उतरेगा जब नशा तो मुझे भूल जाओगे !

मत वादा ऐ विसाल करो तुम नशे में हो… Continue

Added by Hilal Badayuni on June 14, 2011 at 10:00pm — 2 Comments

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!


मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!


शोला ए हिज्र से ये और भड़क जाती है !
आग इस दिल की बुझाऊं तो बुझाऊं कैसे !!


उनके दरयाऐ मुहब्बत में है मौजों का हुजूम !
कश्तिये इश्क चलाऊं तो चलाऊं कैसे…
Continue

Added by Hilal Badayuni on June 6, 2011 at 1:41am — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service