For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भावना तिवारी's Blog (11)

नवगीत // भावना तिवारी

व्याकरण में ही 
उलझ कर ,
रह गईं सब…
Continue

Added by भावना तिवारी on June 7, 2013 at 7:46pm — 11 Comments

गीत

आज फिर बरसे हैं
बादल जोर से.
मन बहकने सा लगा है ...!!
 …
Continue

Added by भावना तिवारी on June 6, 2013 at 7:30pm — 15 Comments

प्रेम का प्रारब्ध

अश्रुओं से सींचता 

हर स्वप्न मन का ,

प्रेम का प्रारब्ध 

परिवर्तित विरह में ,

इन्द्र धनुषी हास 

अधरों के निकट आ,

दे रहा प्रतिक्षण 

प्रशिक्षण वेदना को !…

Continue

Added by भावना तिवारी on May 1, 2013 at 9:30pm — 11 Comments

एक नज़्म ...तुम्हारे नाम

आज की रात बहुत भारी है 

पीर है या कि जैसे आरी है !! 

आती जाती हुई साँसों में दम निकलता है,

लम्हाँ-लम्हाँ तुम्हें पाने को दिल मचलता है !   

गहरे सन्नाटे में हर ओर तेरी आवाज़ें..

इस अंधेरे में जागतीं हैं कुछ तेरी यादें !

मेरी आँखों में तडपते…
Continue

Added by भावना तिवारी on February 2, 2013 at 11:30am — 16 Comments

विवशता ..!!

रोटियाँ सिंक रहीं हैं ..!
उठती भाप,
बढ़ता ताप,
खौलता धमनियों में खून
मचल पड़ते नाखून
खरोंचने को ...खुद को
चिमटा,बेलन घर के अपने थे
आग पर चढ़ा दिया
जला दिया
इच्छाओं को ..
मैं चुपके से देखती हूँ
इन रोटियों में अक्स अपना !!
आती जाती हर आँख
सेंकती नज़र आती है रोटियाँ
भीतर उठता है धुआँ
और गहरे डूब जातीं हैं
भूख में मौन मन
विवश
देखता है
रोटियाँ सिंक रहीं हैं ..!!
~भावना

Added by भावना तिवारी on February 1, 2013 at 8:46am — 9 Comments

क्या जाने ..!!

कब होंगीं बातें 

क्या जाने ..!!
 
खटरागों से 
भरी जिंदगी ,
बिसरा प्रेम 
और बंदगी !
जिनमें…
Continue

Added by भावना तिवारी on January 30, 2013 at 12:16pm — 10 Comments

गीत ..बेटियाँ

धीर धरे चुप गहन कूप
होतीं हैं बेटियाँ ../
गंगा की जलधार सीं ,
अर्घ्य की पावनधार सीं ,
जीवन के आधार सीं .
भोर सजीली भक्ति रूप
होतीं हैं बेटियाँ ..!!
सुभग अल्पना द्वार कीं,
सजतीं वंदनवार सीं/
महकें हरसिंगार सीं ,
जीवन भर की छाँह -धूप
होतीं हैं बेटियाँ ..!!
बाबा के सत्कार सीं ,
मर्यादा परिवार कीं ,
बेमन हैं स्वीकार सीं ,
धीर धरे चुप गहन कूप
होतीं हैं बेटियाँ ...!!!

Added by भावना तिवारी on January 14, 2013 at 1:00pm — 11 Comments

मौन का,इम्तिहान न लो ..!!

नोंच डालो ,

अस्मिता को ,बेच डालो ,

हम यही कहते रहेंगे

मौन का ...

इम्तिहान न लो ..!!

सूरज से युद्ध 

करने का  दुस्साहस

करता जुगनू प्रतिदिन

आकाश बँधाता ढाढस

ज़ुल्म हम सहते रहेंगे ,

हम यही कहते रहेंगे

शौर्य का

अनुमान न लो ..!!

चीखती रह जाएँगीं

विधवा घाटियाँ

जर्जर सी छत की

छूट गईं लाठियाँ

प्रतीक्षारत ,आक्रमण का

अनुचित परिणाम न हो

हम यही कहते रहेंगे ,

हौसले का ,

अनुमान न लो ..!!

मौन का,इम्तिहान न…

Continue

Added by भावना तिवारी on January 10, 2013 at 2:30pm — 5 Comments

गीत

हँस-हँस कर करते हैं आँसू ,सुख दुःख का व्यापार ,

बाहर वाली चौखट दुखती , चुभते वन्दनवार !!



मुरझाकर भी हर पल सुरभित ,पात-पात साँसों का,

मन को मजबूती देता है ,संबल कुछ यादों का !

क्षण भर हँसता,बहुत रुलाता,कुछ अपनों का प्यार ,

सारी उमर बिता कर पाया,यह अद्भुत उपहार ..!!



सिहरन नस-नस में दौड़े जब,हाँथ हवा गह जाती,

गुजरी एक जवानी छोटी, बड़ी कहानी गाती !

यूँ तो गँवा चुके हैं अपनी,सज धज सब श्रृंगार ,

है अभिमान अभी तक करता,नभ झुककर सत्कार…

Continue

Added by भावना तिवारी on January 9, 2013 at 2:00pm — 8 Comments

//-उलझन-//

      //-उलझन-//  
आक्रोश,क्रंदन,कड़वाहट
सीने में भरी झुंझलाहट..
मुझे मार डालेगी ....!!
मेरे भीतर का लावा 
फूट पड़ने को आमादा !
मेरे पपड़ाते होंठ 
मौन की मुखर बौखलाहट !
मेरे मसले हुए ख़्वाब ,
मेरे असहाय दिन ,
मेरी ज़ख़्मी रातें ..
मेरा समूचा वज़ूद भयाक्रांत है !!
विधाता तुमसे शिक़ायत है 
क्यूँ रचा  मुझे 
कच्ची माटी…
Continue

Added by भावना तिवारी on January 3, 2013 at 1:00pm — 10 Comments

अपने ब्लॉग पर सर्वप्रथम पोस्ट ( रचना )माँ को समर्पित ...!!

                -1-

बीज रूप ॐ मिला,जग को आधार मिला,

शक्ति रूप में हुआ है,तेरा विस्तार माँ  !

हर युग में कपूत , देते रहे कष्ट धूप  ,

उनका भी हित…

Continue

Added by भावना तिवारी on December 1, 2012 at 1:46pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service