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कब होंगीं बातें 

क्या जाने ..!!
 
खटरागों से 
भरी जिंदगी ,
बिसरा प्रेम 
और बंदगी !
जिनमें हम-तुम 
मिल खो जाएँ ,
कब होंगीं रातें ,
क्या जाने ..!!
वही साँझ हैं 
वही दिवस हैं,
क्यों लगता हम 
बहुत विवश हैं !
चाँद,चाँदनी से 
मिलकर कब ,
देगा सौगातें 
क्या जाने ..!!
 -भावना-

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Comment by upasna siag on February 1, 2013 at 5:04pm

बहुत सुन्दर  अभिव्यक्ति 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 31, 2013 at 10:12pm

आदरणीया डॉ. भावना तिवारी जी सादर, सुन्दर भावपूर्ण गीत पर बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2013 at 12:19pm

सुन्दर भाव सम्प्रेषण के लिए बधाई डॉ. भावना तिवारी जी 

Comment by Pankaj Trivedi on January 30, 2013 at 10:20pm

बहुत सुंदर भावों से सजी रचना


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2013 at 10:18pm

अपनी भावनाओं को शब्द देती रहें.. . शुभेच्छाएँ.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 30, 2013 at 9:15pm

किसी भी सहायता हेतु आप टीम ओ बी ओ (जो भी ऑनलाइन हो) सदस्यों से सहयोग ले सकती हैं । टीम ओ बी ओ के सदस्यों का नाम आप टैब "OBO टीम" क्लिक कर देख सकती हैं ।

Comment by भावना तिवारी on January 30, 2013 at 8:36pm

आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया ...मैं यहाँ ठीक से समझ नहीं पा रही हूँ ....कि संचालन कैसे किया करूँ ..इसी कारण प्रतिक्रियाएँ भी नहीं दे पाती हूँ ...Rajesh Kumar Jha जी मुझे नहीं ज्ञात कि ऐसा क्यूँ है ...शायद मुझसे कहीं कुछ गलती हो रही होगी ....!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 30, 2013 at 6:22pm

क्या भाव हैं बहुत सुन्दर बधाई हो

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 30, 2013 at 1:21pm

भावनाओ का अच्छा तन बुना है, भावना जी, बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on January 30, 2013 at 1:15pm

बहुत सुंदर लिखा है आपने पर ताज्‍जुब है यह मुझे दिख नहीं रहा, आपके शेयर लिंक पर देखा तो पढ़ा ।

कृपया ध्यान दे...

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