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Er. Ganesh Jee "Bagi"'s Blog – December 2014 Archive (4)

लघुकथा : न्यू ट्रेंड (गणेश जी बागी)

“वर्मा साहब, एक बात समझ में नहीं आयी, आपने फ़िल्म प्रोडक्शन पर अधिक और फ़िल्म प्रमोशन एवं मिडिया मैनेजमेंट पर मामूली बजट का प्रावधान किया है, जबकि आजकल तो प्रमोशन पर प्रोडक्शन से कहीं अधिक बजट खर्च किये जा रहे हैं.”

“डोंट वरी दादा ! कम प्रमोशनल बजट में भी फ़िल्म हिट करवाई जा सकती है.”

“अच्छा अच्छा, मतलब आप फ़िल्म में आइटम डांस वगैरह डालने वाले है.”

“नो नो, इटिज वेरी ओल्ड ट्रेंड”

“तो अवश्य कोई किसिंग या बोल्ड बेड सीन दिखाने को सोच रहे हैं.”

“अरे नहीं दादा इसमें नया क्या…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 4:30pm — 57 Comments

हास्य घनाक्षरी : ईलाज (गणेश जी बागी)

छंद : घनाक्षरी 

झट छायी चिंता-रेखा,

नीला-नीला पाँव देखा,

पहुँचे करीम चच्चा, शफ़ाख़ाना आस में.

देखते हकीम बोला,

पाँव में ज़हर फैला,

दोनों पाँव काट डाले, ज़िन्दग़ी की आस में.

बात हुई ज़ल्द साफ़,

कट गये पर पाँव,

डरता हकीम आया, चच्चा जी के पास में.

सुनो जी करीम भाई,

बात ये समझ आई,

लुंगी रंग छोड़ रही, बोला एक साँस में.…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 22, 2014 at 12:00pm — 33 Comments

अतुकांत कविता : केसर के फूल (गणेश जी बागी)

अतुकांत कविता : केसर के फूल

चौक गया

यह देखकर 

स्कूल के फर्श पर

फैला गाढ़ा रंग

बिलकुल वैसा ही था

जैसा

कुछ वर्ष पहले था

मुंबई के प्लेटफॉर्म पर  

कोई अंतर नहीं

एकदम सुर्ख़ लाल रंग

उपजाऊ भूमि

बो दिया बारूद

इस उम्मीद में

कि .........

केसर फूलेंगे ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 12:00am — 24 Comments

लघुकथा : सुकून (गणेश जी बागी)

                         व्यंग्यात्मक शैली में लिखने के लिए जाना जाता है, उसकी कवितायेँ बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से राजनेताओं पर तीखी मार करती हैं, उसकी कविता प्रतिष्ठित अखबार के साहित्यिक स्तम्भ में आज प्रकाशित हुई है, कल से ही वो परेशान और बेचैन था, जाने क्या होगा, पता नहीं उसकी अभिव्यक्ति को लोग समझ भी पाएंगे अथवा नहीं, रात भर वह सो न सका ।
                        सुबह होते ही मोबाइल की घंटियां बजने लगी, उसका मन शांत था और…
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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 3, 2014 at 12:13pm — 33 Comments

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