For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – February 2017 Archive (6)

गजल(जैसे तैसे आगे आता))

     #गजल#

       ***

 22 22 22 22

जैसे-तैसे आगे आता

मैं भी जनसेवक हो जाता!1

 

सेवा के आयाम बहुत हैं

अपनी सब करतूत गिनाता!2

 

नकली आँसू के छींटे दे

मन के माफिक मेवे खाता!3

 

पाँच बरस मुझको मिल जाते

चार पहर रोते फिर दाता!4

 

भाषा को हथियार बनाकर

जोर लगा मैं शोर मचाता!5

 

जात-धरम के पेड़ फफनते

थोड़े बिरवे और बढ़ाता!6

 

मेरी खातिर भींग कहें…

Continue

Added by Manan Kumar singh on February 26, 2017 at 11:08am — 4 Comments

गजल(खबरी)

#गजल#(खबरी)

***

22 22 22 22

बात कहूँ मैं मिर्च मिला के

सुन लेता हूँ कान लगा के।1



दूर कहीं से लाता कौड़ी

चिपका देता खूब सटा के।2



मेरी कथनी हरदम साबित

बढ़ जाता हूँ बात बढ़ा के।3



शास्त्र-पुराण उखड़ जाते हैं

मैं रहता हूँ पाँव जमा के।4



मेरा मौसम हरदम रहता

क्या कर सकते मुँह बिचका के।5



जूतम पैजार हुई सबकी,

जूझ रहे फिर कुर्सी पा के।6



चाहत की बलिहारी कितनी!

रखता मैं हर बार जगा… Continue

Added by Manan Kumar singh on February 19, 2017 at 9:00am — 17 Comments

गजल(इश्क को तोलते हैं कहाँ)

212 212 212
इश्क को तोलते हैं कहाँ,
जो तुले,बोलते हैं कहाँ?1

सिसकियाँ हों बँधी गाँठ में,
बावरी! खोलते हैं कहाँ?2

ऐ हवा! तू उड़ा के चुनर
पूछ, हम डोलते हैं कहाँ?3

गम पिये बस जिये अब तलक,
हम जहर घोलते हैं कहाँ?4

चूमते धड़कनें चाव से,
खुद कभी बोलते हैं कहाँ?5
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Added by Manan Kumar singh on February 14, 2017 at 8:39pm — 16 Comments

गाँव की होली (लघु कथा)

गाँव में होली

 गाँव में होली अपनी उफान पर थी । चंदू  के द्वार पर सुबह से ही चौपाल बैठ गयी थी । उनका भतीजा कहीं बाहर कुछ काम करता था । उसीने शराब की कुछ बोतलें घर भेज रखी थीं । गाँव में उसका बड़ा भतीजा रहता था ; कुछ काम का, न काज का, बस दोस्त समाज का !खाने –पीनेवालों का ताँता सुबह से उसके दर पे लगने  लगा,मुफ्त में शराब और गोश्त के कुछ पर्चे मयस्सर जो हो रहे थे । बीच –बीच में माँ –बहन की भी हो जा रही थी। सुननेवालों के मजे –ही –मजे थे । हम भी अपने दरवाजे पर…

Continue

Added by Manan Kumar singh on February 12, 2017 at 7:41pm — 4 Comments

गजल(गीत कौवे गा रहे हैं आजकल)

2122 2122 212

*****************

गीत कौवे गा रहे हैं आजकल

कंठ कोयल के भरे हैं आजकल।1



दुश्मनी सारी भुलाकर मसखरे

फिर गले से मिल रहे हैं आजकल।2



गालियाँ देते परस्पर जो रहे

प्रीत के सागर बने हैं आजकल।3



आज दुबके हैं सभी गिरगिट यहाँ

रंग बदलू आ गये हैं आजकल।4



कुर्सियों का ताव इतना बढ़ गया

धुर विरोधी भा गये हैं…

Continue

Added by Manan Kumar singh on February 7, 2017 at 7:00pm — 12 Comments

गजल(तीर चले चुन चुन के कस कस)

22222222

तीर चले चुन-चुन के कस-कस

मन तो भूला जाता सरबस।1



बूढ़ा बरगद बौराया है

अँगिया- गमछा करते सरकस।2



छौंरा- छौंरी छुछुआये हैं

पुरवा घर-घर करती बतरस।3



बढ़नी लेकर काकी दौड़ी

सच तो सहना पड़ता बरबस।4



फागुन की फुनगी अँखुआयी

चौरा-चौरा होता चौकस।5



आतुर होकर आज हवाएँ

ढूँढ़ रहीं निज मरकज,बेकस।6



मन का मीत कहीं मिल जाये

मनुआ दौड़ चला जस का तस।7



रंग चढ़ा जिसको,वह उछले

बाकी कहते,रहने दो…

Continue

Added by Manan Kumar singh on February 4, 2017 at 8:30am — 22 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
12 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service