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Ashish Srivastava's Blog (24)

छ मुक्तक

किस्मत ने हमको रोका, कहा ! मुसुकुराए क्यूँ हो 
हारे हो तुम तो मुझसे लेकिन हराए क्यूँ हो
इतना तो तुमसे सीखा , कभी यूँ न डगमगाना 
कैसी भी  हो डगर पर , सदा तुम सा मुस्कुराना 
_________________________________________
आगोश में हमारे , आना मगर संभलना 
जुल्फों से खेलें हम भी , बूंदों सा तुम बरसना 
देखो तो देखो ऐसे ,  जैसे धरती निहारे बादल 
बस…
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Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 7:05pm — 4 Comments

मुक्तक

हवा के रुख को जो मोड़े वही बादल घनेरा था 

जगह बारिश की जो बदले वही झोंका हवा का था 

बदल मैं क्यूँ नहीं पाया मोहब्ब्बत इश्क की राहें 

तुम्हे मुझसे रही उल्फत, मगर मुझे इश्क तुमसे था 

-----------------------------------------------------------

अगर मुझको मोहब्बत थी, तुम्हे फिर इश्क हमसे था

अधर में रह गया क्यूँ फिर मोहब्बत का मेरा किस्सा 

लिखावट उस विधाता की , बदल…

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Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 1:00pm — No Comments

मुक्तक

कभी  मेरी धडकनों में स्वर तुम्हारे थे 
आज  मेरे स्वरों में तेरी धडकन है  
मेरी सरगम पे बजा करती थी तुम्हारी पायल 
आज बजती है कही सरगम तो करती घायल 
-------------------------------------------------------------
मेरे  घर से निकलने की आहट पे 
द्वार में आया तुम करती…
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Added by Ashish Srivastava on August 7, 2012 at 9:00pm — 8 Comments

मर्यादा

अगर हम उन्हें अपना नहीं मानते 

तो ये रिश्ते बनते कैसे 

हर वक़्त हर पल , हम और तुम 

इश्क की आग में जलते कैसे 

क्यूँ दस्तक देती रोज़ हमारी चौखट पर

क्यूँ चौंकते हम रोज़ तुम्हरी आहट पर 

दर्पण में हर बार तुमहरा चेहरा था 

मन , जल में रह जल बिन सा था 

जब नाम खुदा का लेते थे , 

पर नाम तेरा ही आता था 

हर बार बुझी सी आँखों में…

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Added by Ashish Srivastava on August 3, 2012 at 9:00pm — 4 Comments

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