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एक गज़लनुमाँ ***तहज़ीब उधार लॆं ....

एक गज़लनुमाँ ***तहज़ीब उधार लॆं


चलॊ किसी सॆ तॊ तहज़ीब उधार लॆं ,
गल्ती अपनी-अपनी हम स्वीकार लॆं !!१!!

दूसरॊं कॆ मकान मॆं झाँकनॆ सॆ पहलॆ,
द्वार आँगन अपना हम बुहार लॆं !!२!!

यॆ ज़माना खुद बखुद सुधर जायॆगा,
अगर हम पहलॆ खुद कॊ सुधार लॆं !!३!!

ज़िंदगी की गाड़ी दलदल मॆं फँसी है,
मदद कॆ लियॆ कॊई तॊ मददगार लॆं !!४!!

वॊ आयॆ न आयॆ उसकी मर्जी है यॆ,
फ़र्ज अपना है कि फ़िरसॆ पुकार लॆं !!५!!

यॆ ज़िंदगी की साँसॆं जॊ भी मिलीं हैं,
नॆकियॊं कॆ वास्तॆ इनकॊ गुज़ार लॆं !!६!!

कहतॆ हैं लॊग ज़िंदगी जुआ है ग़र,
हारनॆ सॆ भला है कि बाजी मार लॆं !!७!!

अपनी झॊपड़ी मॆं ही शुकूं है "राज"
बुजुर्गॊं की नसीहत ज़ॆहन उतार लॆं !!८!!

कवि- "राज बुन्दॆली"

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 24, 2013 at 12:29pm

नादिर ख़ान ,,,,,,,,,,,,,,भाई साहब बहुत बहुत शुक्रिया ,,,,,,,,,,,,,

Comment by नादिर ख़ान on February 21, 2013 at 12:11am

वॊ आयॆ न आयॆ उसकी मर्जी है यॆ,
फ़र्ज अपना है कि फ़िरसॆ पुकार लॆं ....उम्दा नसीहत है

अपनी झॊपड़ी मॆं ही शुकूं है "राज"

बुजुर्गॊं की नसीहत ज़ॆहन उतार लॆं ...100 टके की बात कही है राज भाई ...

Comment by मोहन बेगोवाल on February 19, 2013 at 10:27pm

वॊ आयॆ न आयॆ उसकी मर्जी है यॆ,
फ़र्ज अपना है कि फ़िरसॆ पुकार लॆं !!५!!गज़ल के  सभी शेअर बहुत उम्दा हैं

Comment by बृजेश नीरज on February 19, 2013 at 9:45pm

दूसरॊं कॆ मकान मॆं झाँकनॆ सॆ पहलॆ,
द्वार आँगन अपना हम बुहार लॆं !!२!!

वाह क्या बात है! बहुत खूब!

Comment by ram shiromani pathak on February 19, 2013 at 2:56pm

यॆ ज़माना खुद बखुद सुधर जायॆगा,
अगर हम पहलॆ खुद कॊ सुधार लॆं !!३!!

 

वाह वाह क्या कहने सर ..............बधाई आपको 

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