For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करके घायल ......

करके घायल नयन बाण से 

मंद-मंद मुस्काते हो
दिल को देकर घाव प्यार के
क्योँ ओझल हो जाते हो
प्यार जताने कभी स्वप्न में
दबे पाँव आ जाते हो
कुछ न कहते अधरों से
बस नयनों से बतियाते हो
क्षण भर के आलिंगन को
तुम बरस कई लगाते हो
फिर आना का वादा करके
विछोह वेदना दे जाते हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 1, 2015 at 4:28pm

आदरणीय    Dr. Vijai Shanker  जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 31, 2014 at 5:21am
फिर आने का वादा करके
विछोह वेदना दे जाते हो॥
सुन्दर, बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी।
Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 7:54pm

आदरणीय   somesh kumar जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 2:18pm

करके घायल चला वो 

सपन बनके पला हो 

फिर आया नहीं लौटकर 

उसका मिलना खला वो 

सुंदर प्रस्तुति है सर ,रचना में कभी पूर्णता नहीं आ सकती ,सब अपने नजरिए से देखते हैं ,पर स्वयं को अच्छी लगनी पहली जरूरत है ,बाकी सुधार करें तो अच्छा,ना करें तो भी अच्छा |its my personal thought that perfection is a dead end

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:17am

आदरणीय   Hari Prakash Dubey जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:17am

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी रचना पर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया का बहुत बहुत शुक्रिया। वस्तुतः ये सृजन काफी समय पूर्व का है इसीलिये ये कमी दृष्टिगोचर हो रही है। आपके द्वारा सुझाया गया सुधार बहुत ही सुंदर बन पड़ा है। आपने अपने अमूल्य सुझाव से रचना को जो मान दिया है उसके लिए बंदा आपका शुक्रगुजार है। कृपया अपना स्नेह बनाये रखें।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:10am

आदरणीय  Anurag Prateek जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:09am

आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:08am

आदरणीय  डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 10:56pm

आदरणीय सरना जी, बहुत बहुत बधाई,सुन्दर रचना है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
2 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
47 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह वा , आदरणीय लक्ष्मण भाई बढ़िया ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service