For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात आँखों में बिता दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

मैं आज बत्तियां जला दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

बैठे हो सर झुकाए, कुछ गुमशुदा से बन के,

आज घूँघट फिर उठा दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

है कंपता बदन ये, आँखों में कुछ नमी है,

लाओ सर जरा दबा दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

लगती हो खोई-खोई, किस सोच में पड़ी हो ?

ग़र फिक्र सब मिटा दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

ख़ामोशी क्यूँ है इतनी ? अरे गाते थे कभी हम,

मैं कुछ गीत गुनगुना दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

बोये जो बीज हमने, फले पेड़ प्यार के वो,

मैं कुछ डालियाँ हिला दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

हैरान से हो क्यूँ तुम ? अजी सामने ही सबके,

तुमको गले लगा लूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

बस तुमसे प्यार करते, तेरा ख्याल रखते,

पूरी ज़िन्दगी बिता दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on January 1, 2015 at 8:56pm

सराहना,प्रोत्साहन एवं काव्य-विश्लेषण के लिए आप सभी माननीय सज्जनों का ह्रदय से कोटि-कोटि आभार | साथ ही आप सबको नव-वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:03am

बहुत सुंदर आदरणीय संदेश जी

Comment by Hari Prakash Dubey on December 31, 2014 at 7:47pm

सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई संदेश नायक 'स्वर्ण' जी !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 31, 2014 at 1:09pm

हैरान से हो क्यूँ तुम ? अजी सामने ही सबके,

तुमको गले लगा लूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

बस तुमसे प्यार करते, तेरा ख्याल रखते,

पूरी ज़िन्दगी बिता दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?-----------------------अति सुन्दर i

Comment by khursheed khairadi on December 31, 2014 at 11:42am

बोये जो बीज हमने, फले पेड़ प्यार के वो,

मैं कुछ डालियाँ हिला दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?

आदरणीय नायक साहब सुन्दर प्रस्तुति है |सादर अभिनन्दन |

Comment by Shyam Narain Verma on December 31, 2014 at 10:18am

लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 31, 2014 at 9:39am
वाह वाह वाह बहुत सुन्दर!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 31, 2014 at 12:53am

आदरणीय सन्देश भाई जी आपको सुन्दर प्रेम गीत की प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई 

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 11:21pm

बुरा मानने वाली नहीं ,ये तो ह्म्ख्याली और मोहब्बत की गज़ल हो गई भाई ,दाद कबूल करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service