For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुतदारिक मुसम्मन सालिम 

212   212   212   212

आपकी  थी  हमें  भी  बहुत  कामना

आज   संयोग   से  हो गया सामना

 

आँख से आँख अपनी मिली इस तरह

रस्म भर  ही रहा  हाथ  का थामना

 

मयकशीं  जो  करूं तो  नशा यूँ चढ़े

और  आये  कभी  हाथ में जाम ना

 

इश्क आँखों  में जब से लगा नाचने

हो  गयी  पूर्ण   सारी  मनोकामना

 

हाथ में  हाथ  ले  बात की थी कभी

याद है वह  सुहानी तुम्हें  शाम ना

 

इश्क की मय हुयी है  मयस्सर जिसे

वह  नशेड़ी  रहा  आदमी  आम ना

 

जब तलक हम जहाँ से नही जायेंगे

तब तलक  है कहाँ  कोई आराम ना 

 

 

 (मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 25, 2015 at 10:06am

आ० मिथिलेश जी

आभार सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 1:20am

आदरणीय गोपाल सर, वाह वाह क्या बढ़िया ग़ज़ल कही है बस आनंद आ गया, बस शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

इस शेर ने तो दिल ही लूट लिया -

आँख से आँख अपनी मिली इस तरह

रस्म भर  ही रहा  हाथ  का थामना

वाह वाह .... दाद दाद ढेर सारी दाद 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 13, 2015 at 9:53pm

प्रिय कृष्णा

मेरेपिता कह्तेथे  -आदमी जीवन भर सीखता है और अधूरा ही संसार से उठ जाता है- गजल तो मैंने अभी शुरू की . पर स्सीखने की कोई उम्र नहीं होती - कबीर जी कहते है -

कहैं कबीर जाय  दो बही  i जब ते चेतो तब ते सही  ............................ सस्नेह .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 13, 2015 at 9:05pm

वाह! आदरणीय गोपाल सर! गज़ल पर आपके प्रयासों पर मैं नतमस्तक हूँ,आपके जैसा विद्यार्थी मिलना बहुत ही मुश्किल है,जिस पड़ाव पर अक्सर व्यक्ति अपने रचनाकर्म के मान में चूर मिलता है,उसी जगह पर हर तरह से सक्षम होते हुए भी सहज भाव से गज़ल पर आपका विद्यार्थी भाव सदैव विद्यार्थी बने रहने की मिसाल दे रहा है!अभिनन्दन!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 10, 2015 at 12:27pm

प्रिय सोमेश

आभार, सस्नेह .

Comment by somesh kumar on June 9, 2015 at 11:01pm

इश्क की मय हुयी है  मयस्सर जिसे

वह  नशेड़ी  रहा  आदमी  आम ना

  क्या बात कही आदरणीय पूरी गज़ल ही प्यार के नशे में झूम रही है |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 9, 2015 at 11:36am

आ० सुनील जी

सादर आभार .

Comment by shree suneel on June 8, 2015 at 10:43pm
आँख से आँख अपनी मिली इस तरह
रस्म भर ही रहा हाथ का थामना.... बहुत ख़ूब
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय गोपाल नारायण सर. बधाई आपको.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 8, 2015 at 4:31pm

आ० समीर कबीर जी

आप कमिया जरूर बताएं तभी सीख पाउँगा , सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 8, 2015 at 4:30pm

आ० चौहानजी

बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
54 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
59 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, ओबीओ की परम्परा का क्या ही सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया है आपने ! जय…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मेरे कहे को मान देने और अनुमोदन हेतु आभार। सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service