For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भरी दोपहरी मई के महीने में वो दरवाज़े पर आया और ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगाने लगा खान साहब…….. खान साहब……..| मेरी आँख खुली मैंने बालकनी से झाँका | एक ५५-६० साल का अधबूढ़ा शख्स, पुराने कपड़ों, बिखरे बाल और खिचड़ी दाढ़ी में सायकल लिए खड़ा है। मुझे देखते ही चिल्ला पड़ा फलाँ साहब का घर यही है| मैंने धीरे से हाँ कहा और गर्दन को हल्की सी जेहमत दी | वो चहक उठा उन्हें बुला दीजिये | मैंने कहा अब्बा सो रहे हैं, आप मुझे बताएं | उसने ज़ोर देकर कहा, नहीं आप उन्हें ही बुला दीजिये , कहियेगा फलाँ शख्स आया है। मुझे बड़ा गुस्सा आया लोग भी अजीब हैं, जब देखो चंदे और मदद की गुहार लिए आ जाते हैं। न दिन देखते हैं न समय, भरी दोपहरी सबको परेशान करते हैं। मै बुदबुदाते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगा और अब्बा को आवाज़ दी|

अब्बा नीचे आये सलाम - जवाब के बाद आने का सबब पूछा | अरे खान साहब, ३ महीने पहले आपसे पांच हज़ार रुपये उधार लिए थे। अल्लाह का शुक्र है, सब्जी की दुकान ठीक ठाक चल रही है । ये एक हज़ार रुपये हैं, इंशाअल्लाह आने वाले महीनों में बचे रुपये भी चुका दूंगा और हाँ ये मिठाई बच्चों के लिए लाया हूँ ।

मैंने खुद को दरवाज़े की ओट में कर लिया |

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 30, 2015 at 4:51pm

आदरणीय नादिर जी ...हमारी सोच हमेशा सही नहीं होती ..हर आदमी एक जैसा नहीं होता ..दरवाज़े की ओट में छुपने वाली पंक्तियों ने मन मोह लिया ..लाजबाब इस शानदार लघु कथा के लिए ढेर सारी बधाई सादर 

Comment by kanta roy on October 29, 2015 at 2:39pm

प्राकृतिक मनोभाव का चित्रण हुआ है आपकी रचना में आदरणीय नादिर खान जी।
हमारा दिल ही अपराध को स्वीकार करता है और अपराध बोध से घिर जाता है।
पाक और साफ़ दिल ही अक्सर अपराध कर बैठते है अपनी पाकीजगी में। सोच समझकर चलने वालों की पाकीजगी मुश्किल है कायम रहना ,उनको तो नफा नुक्सान की परवाह अधिक रहती है। अपराध -बोध पवित्र मनो में ही उपजती है सदा। बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार करे।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 29, 2015 at 12:11pm
पूर्वाग्रह बहुत ही बुरी चीज होती है,यह अक्सर अपराध बोध वाली परिस्थितियों में डाल देती है। बहुत ही समसामयिक,सार्थक, प्रेरक रचना के लिए जनाब नादिर ख़ान साहब को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
Comment by नादिर ख़ान on October 29, 2015 at 10:43am

आदरणीय मिथिलेश जी , आदरणीया प्रतिभा जी एवं  आदरणीया राहिला जी आप सबकी हौसला अफ़ज़ाई पाकर बहुत मुसर्रत हो रही है । चूँकि ये मेरी लाइफ की  पहली लघुकथा है । अव्वल तो मुझे इसके लघुकथा होने पर  भी  मुझे  शक था, क्योंकि इसमें २ चित्र उभर रहे है । गुणीजन इस पर रौशनी डालें तो और सीखने को मिले । आप सभी का एक बार पुनः आभार। 

Comment by Rahila on October 29, 2015 at 9:06am
बहुत उम्दा रचना आदरणीय नादिर खान साहब! बहुत बधाई आपको ।
Comment by pratibha pande on October 29, 2015 at 8:16am

'मैंने खुद को दरवाज़े की ओट में कर लिया ' l  लघु कथा के अंत में  पञ्च या तंज का जिक्र अक्सर होता जो कभी कभी थोपा हुआ सा भी लगता है ,पर आपकी इस एक पंक्ति ने अपराध बोध को जिस  सीधे सरल और जानदार तरीक़े से पाठकों तक संप्रेषित कर दिया वो काबिले तारीफ़ है  ,  बधाई आपको इस सार्थक रचना पर आदरणीय नादिर खान जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 9:49pm

आदरणीय नादिर सर, बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
19 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service